मायावती सरकार को और एक झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा में दो गांवों में करीब 600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया.
न्यायालय के इस फैसले से ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों और संभावित मकान मालिकों की परेशानी और बढ़ जाएगी. किसानों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुनील अंबावानी और न्यायमूर्ति एस.एस. तिवारी की एक खंडपीठ ने गौतमबुद्ध नगर जिले की दादरी तहसील के अंतर्गत पटवारी और देवला गांवों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए गए 589.13 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया.
इस भूमि का अधिग्रहण राज्य सरकार द्वारा मार्च, 2008 और मई, 2008 में अधिसूचना के जरिए किया गया था जिसका उद्देश्य दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में रिहाइशी इमरतों का निर्माण करना था. उच्च न्यायालय के इस आदेश से एक पखवाड़े पहले उच्चतम न्यायालय ने इलाके में शाहबेरी गांव में राज्य सरकार द्वारा किए गए 156 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि प्राधिकरण लोकहित के नाम पर निजी बिल्डरों को फायदा पहुंचा रहा है.
उच्चतम न्यायालय ने 6 जुलाई को दिए आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया था, जिसमें उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. प्राधिकरण ने भूमि अधिग्रहण कानून के आपात उपबंध के तहत यह अधिग्रहण किया था.
न्यायालय ने साथ ही भूमि किसानों को लौटाने का भी निर्देश दिया था. प्राधिकरण एवं बिल्डरों ने उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.
उल्लेखनीय है कि कई बिल्डरों ने पटवारी गांव में अपनी हाउसिंग परियोजनाएं लांच की हैं और सैकड़ों लोगों ने आगामी रिहाइशी इकाइयों के लिए बुकिंग कराई है जिसमें से कुछ निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं, जबकि कुछ का नक्शा तैयार है.
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 2008 में पटवारी गांव में करीब 589 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर उसे रिहाइशी इकाइयों का निर्माण करने के लिए बिल्डरों को बेच दिया था. उच्च न्यायालय का विचार था चूंकि भूमि अधिग्रहण रिहाइशी उद्देश्य के लिए किया गया था, इसके लिए कोई आपात कदम उठाने की दरकार नहीं थी और इसलिए प्रभावित पक्षों को सुनवाई का मौका दिए बगैर अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए था.
प्रभावित लोगों का पक्ष सुने जाने पर उन्हें पर्याप्त मुआवजा की सुविधा मिल सकती थी. मंगलवार का आदेश दो गांवों के 100 से अधिक किसानों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया. इन किसानों ने राज्य सरकार द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस साल 12 मई को ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में 150 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण रद्द कर दिया, वहीं 13 मई को सूरजपुर परगना गांव में 73 एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी रद्द कर दिया था.
शाहबेरी गांव में भूमि अधिग्रहण रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार की अपील पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति पर उसे फटकार लगाई थी.