अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा की जीत की चर्चा भारत की तंग गलियों व चौक-चौराहों पर भी हो रही है. इसकी वजह यह है कि दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देशों में शुमार भारत की जनता 'सुपर पावर' से कुछ उम्मीदें रखती है.
ऐसे में उन कारणों की पड़ताल जरूरी है कि आखिर ओबामा के दोबारा चुने जाने से भारत को क्या फायदा होगा? कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसकी वजह से भारत को अमेरिका का मुंह देखना पड़ता है.
सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का मसला
बराक ओबामा ने शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है. अपने पहले कार्यकाल में भारत दौरे पर आ चुके ओबामा ने भारत की दावेदारी का समर्थन तो किया था, पर सुरक्षा परिषद में सुधार का मसला फिलहाल लंबित है. फिलहाल भारत अमेरिका से इस मसले पर और सहयोग की उम्मीद कर सकता है.
एशिया-प्रशांत में भारत की भूमिका अहम
कई कारणों से भारत अमेरिका की प्राथमिकता सूची में ऊंचे स्थान पर बना रहेगा. चीन के साथ 'शह और मात' के खेल में अमेरिका भारत का 'कूटनीतिक इस्तेमाल' करता आया है. सीधे शब्दों में कहें, तो भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते की मजबूती एक हद तक चीन के साथ उसके संबंध पर भी निर्भर है.
आउटसोर्सिंग के मुद्दे पर अलग सुर
अमेरिका की नीचे गिरती अर्थव्यवस्था को थामना बराक ओबामा के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. अमेरिका में बेरोजगारों की खड़ी हो रही फौज भी चिंता का विषय है. ऐसे में आंतरिक दबाव के कारण उन्हें नौकरियों को भारत में आउटसोर्स किए जाने के विरोध में बोलना पड़ा. भारत के लिए यह मुद्दा सोचनीय है.
आतंकवाद पर नकेल का सवाल
जहां तक आतंकवाद पर नकेल का सवाल है, भारत अमेरिका से नैतिक समर्थन तो हासिल कर लेता है, पर जमीनी स्तर पर कोई ठोस बात नजर नहीं आती है. अमेरिका अपने हितों को ध्यान में रखकर भारत व पाकिस्तान के बीच शक्ति-संतुलन पर जोर देता आया है, जबकि भारत अमेरिका से बड़ी कार्रवाइयों की आस रखता है. अगर इस नजरिए से देखा जाए, तो भारत को शायद ही कुछ खास हासिल होने की आशा रखनी चाहिए.
ओसामा के खात्मे का सकारात्मक असर
बराक ओबामा ने जिस तरीके से दुनिया के 'नंबर एक' आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के 'खात्मे की स्क्रिप्ट' लिखी, उसकी हर अमनपसंद देश ने जमकर सराहना की. ओसामा के मारे जाने के पीछे निश्चित तौर पर बराक ओबामा का दृढ़ निश्चय ही काम कर रहा था. अमेरिका व बराक ओबामा की यह कड़ी कार्रवाई भारत के लोगों को भली लगी. यह अलग बात है कि भारत अमेरिका से 'और ज्यादा का इरादा' रखता है.