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आदर्श घोटालाः देशमुख ने लगाया चव्हाण पर आरोप

आदर्श घोटाले में अपने को ‘दोष’ से मुक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने यह कहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के सिर आरोप मढ़ दिया कि ‘पूरा’ मामला अनापत्ति के लिए राजस्व विभाग को भेजा गया था जिसके बाद भूमि आवंटित की गयी.

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विलासराव देशमुख
विलासराव देशमुख

आदर्श घोटाले में अपने को ‘दोष’ से मुक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख ने यह कहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के सिर आरोप मढ़ दिया कि ‘पूरा’ मामला अनापत्ति के लिए राजस्व विभाग को भेजा गया था जिसके बाद भूमि आवंटित की गयी.

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देशमुख ने दो सदस्यीय जांच आयोग के समक्ष कहा, ‘पूरा आदर्श मामला भूमि आवंटन से संबंधित था और अतएव उसे राजस्व विभाग को भेजा गया गया क्योंकि वहीं संबद्ध विभाग था. अशोक चव्हाण तब राजस्व मंत्री थे.’ राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है.

इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद गंवाने वाले चव्हाण तब राजस्व मंत्री थी जब देशमुख पहली बार 1999 और 2003 के बीच मुख्यमंत्री थे.

दूसरे दिन पैनल के समक्ष पेश हुए 67 वर्षीय केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने यह भी कहा कि राजस्व मंत्री ने आदर्श सोसायटी को भूमि आवंटन के लिए आशय पत्र जारी करते समय यह बात उनके संज्ञान में नहीं लायी गई थी कि इस भूखंड का प्रोपर्टी कार्ड या सर्वेक्षण नंबर नहीं है.

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देशमुख ने यह भी कहा कि सोसायटी में गैर सैनिकों को शामिल करने का फैसला चव्हाण ने ही लिया था जबकि सोसायटी के बारे में कहा जाता है कि वह बस रक्षा सेवाओं के सदस्यों और युद्ध के शहीदों की विधवाओं के लिए थी.

उन्होंने कहा, ‘आदर्श सोसायटी ने जून 2000 में मुझे पत्र भेजकर कहा था कि उसने राजस्व मंत्री अशोक चव्हाण से भेंट की जहां 40 फीसदी गैर सैनिकों (नागरिकों) को सोसायटी में बतौर सदस्य शामिल करने की सहमति बनी. इस पत्र में यह भी जिक्र था कि उक्त जममीन पिछले 30 साल से सेना के कब्जे में है. मैंने यह पत्र राजस्व विभाग को भेज दिया. लेकिन राजस्व मंत्री ने इन दोनों मुद्दों पर मुझसे कोई चर्चा नहीं की.’

इससे पहले पेशी के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कहा था कि उन्हें राजस्व विभाग ने यह नहीं बताया कि जमीन, जहां भवन खड़ा है, स्थानीय सैन्य प्राधिकरण के कब्जे में है और उस भूखंड पर बगीचा है.

उन्हें पैनल के सदस्य पी सुब्रमण्यम के कई सवालों का सामना करना पड़ा, उनसे कैप्टन प्रकाश पेठे मार्ग की चौड़ाई घटाने, समीप में बीईएसटी भूखंड का संरक्षण हटाने, आदर्श सोसायटी में अतिरिक्त एफएसआई मंजूर करने के फैसले के कारण पूछे गए.

सड़क की चौड़ाई घटाने के सवाल पर देशमुख ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई उसे किस नजरिए से देखता है. लेकिन सड़क की चौड़ाई घटाने के बाद परेड ग्राउंड, गार्डन में अतिरिक्त जमीन जोड़ी गयी. उन्होंने कहा कि बृहन्मुम्बई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट की जमीन का संरक्षण आवासीय में बदल दिया और आदर्श को सौंप दिया गया ताकि सरकार कुछ राजस्व पैदा कर सके.

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पर्यावरण संबंधी अनापत्ति के संबंध में उन्होंने कहा कि आशय पत्र में स्पष्ट लिखा है कि निर्माण शुरू करने के पहले पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से मंजूरी ले ली जाए.

देशमुख की भांति केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने यह कहते हुए आरोपों से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया था कि सरकारी जमीन आवंटित करने और सोसायटी में अतिरिक्त एफएसआई की मंजूरी देशमुख के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुई.

शिंदे और देशमुख ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में इस विवादास्पद सोसायटी से जुड़ी फाइलें निबटायी थीं.

अब इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण 30 जून को आयोग के समक्ष पेश होंगे.

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