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हच अधिग्रहण मामले में वोडाफोन को कर से मुक्ति

दूरसंचार सेवा प्रदाता कम्पनी वोडाफोन को वर्ष 2007 में हच एस्सार का अधिग्रहण करने के लिए अब कर नहीं चुकाना होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें उच्च न्यायालय ने वोडाफोन को 11,218 करोड़ रुपये कर चुकाने का निर्देश दिया था.

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दूरसंचार सेवा प्रदाता कम्पनी वोडाफोन को वर्ष 2007 में हच एस्सार का अधिग्रहण करने के लिए अब कर नहीं चुकाना होगा. सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें उच्च न्यायालय ने वोडाफोन को 11,218 करोड़ रुपये कर चुकाने का निर्देश दिया था.

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प्रधान न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विदेश में पूरा हुए सौदे भारतीय कर विभाग के क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में स्थायित्व के लिए निवेशकों को अपनी स्थिति से वाकिफ रहना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हच एस्सार अविश्वसनीय कम्पनी नहीं है. वह 1994 से भारत में मौजूद है और उसने प्रत्यक्ष और परोक्ष कर के रूप में राजस्व में 20,242 करोड़ रुपये जमा किए हैं. हच एस्सार के भारतीय संचालन का वोडाफोन ने अधिग्रहण किया है. अदालत ने कहा कि कर विभाग शुक्रवार के बाद से दो महीने के भीतर वोडाफोन को 2,500 करोड़ रुपये की वह राशि लौटा देगा, जो कम्पनी ने जमा किए थे. आदेश में यह भी कहा गया है कि कर अधिकारी इस राशि पर चार फीसदी सलाना की दर से कम्पनी को ब्याज भी अदा करेंगे.

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