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देश को मजबूत, निष्‍पक्ष लोकपाल की जरूरत: जेटली

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने संसद की स्थायी समिति की ओर से सौंपी गई लोकपाल रिपोर्ट पर संसद की भावना को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. लोकपाल के मुद्दे पर पूरी संसद ने जो वायदा किया है, उससे मुकरा नहीं जा सकता.

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अरुण जेटली
अरुण जेटली

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने संसद की स्थायी समिति की ओर से सौंपी गई लोकपाल रिपोर्ट पर संसद की भावना को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. लोकपाल के मुद्दे पर पूरी संसद ने जो वायदा किया है, उससे मुकरा नहीं जा सकता.

अन्ना हजारे के एकदिवसीय सांकेतिक अनशन के मौके पर पहुंचे जेटली ने अपने सम्बोधन में कहा कि अन्नाजी ने जब अपना पिछला अनशन तोड़ा था तो उस समय संसद के दोनों सदनों ने अपनी भावना प्रदर्शित की थी जिसमें राज्यों के अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति, सिटिजन चार्टर, निचले स्तर की अफसरशाही को लोकपाल के दायरे में लाने की बात कही गई थी लेकिन स्थायी समिति की रिपोर्ट संसद की भावना के अनुरूप नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह देश से किया वायदा तोड़ने वाली बात है. पूरी संसद ने जो वायदा किया, उसे कैसे तोड़ा जा सकता है. जेटली ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में जनता की भी आवाज है. कानून बेशक संसद में बनता है लेकिन जनमत भी एक चीज होती है. उन्होंने कहा कि हर कोई मतबूत और प्रभावी लोकपाल की बात कर रहा है. इससे जुड़े कुछ विषयों पर चर्चा हो सकती है लेकिन लोकपाल की जो आत्मा है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

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जेटली ने कहा कि स्थायी समिति में हमारे दल के जो सदस्य थे, उन्होंने असहमति के नोट के साथ अपने विचार रखे हैं. हमारी राय स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में होने चाहिए और केवल ग्रुप ए और बी के अधिकारी इसके दायरे में हों और सी और डी ग्रपु के अधिकारियों को इससे बाहर रखा जाएगा, इसे हम स्वीकार करने वाले नहीं हैं.

जेटली ने स्वीकार किया कि सीबीआई का दुरूपयोग होता रहा है इसलिए इस संस्था को निष्पक्ष बनाया जाना चाहिए ताकि वह सरकारों के हाथों का खिलौना ना रहे. सीबीआई को भी लोकपाल के दायरे में रख जाना चाहिए.

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