मध्य प्रदेश के रीवा जिले में जमीन अधिग्रहित किए जाने पर रोजगार की मांग कर रहे लोगों पर बरसाई गई गोलियों के मामले में रीवा न्यायालय ने जेपी समूह के मालिकों में एक सन्नी गौड़ सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए जाने के निर्देश दिए हैं.
साथ ही समन भी जारी किया है.
रीवा जिले के नौबस्ता में जेपी समूह का सीमेंट संयंत्र स्थापित किए जाने के लिए किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था.
जमीन अधिग्रहण के समय किसानों से रोजगार देने का वादा किया गया था.
रोजगार दिए जाने की मांग को लेकर किसान परिवारों के नौजवान 22 सितंबर 2007 को संयंत्र के सामने प्रदर्शन कर रहे थे.
प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर संयंत्र की ओर से गोलियां चलीं.इस गोली कांड में राघवेंद्र सिंह पटेल की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 50 लोग घायल हुए.
इस मामले पर राज्य सरकार ने पहले अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) से और फिर न्यायिक जांच कराने के बाद खात्मा रिपोर्ट (एफआर) लगा दिया.
राज्य सरकार की ओर से जांच के बाद खात्मा रिपोर्ट लगाए जाने के विरोध में पीड़ितों की ओर से जबलपुर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई.
इस जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने रीवा न्यायालय में ही प्रकरण की सुनवाई के निर्देश दिए.
मामले की सुनवाई करते हुए रीवा न्यायालय ने सन्नी गौड़ सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
साथ ही न्यायालय ने समन जारी कर गौड़ व अन्य को 6 अगस्त से पहले न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रांतीय सचिव बादल सरोज ने एक बयान जारी कर कहा है कि लगभग पांच साल की लंबी लड़ाई के बाद पीड़ितों को न्याय मिला है.
सरोज का आरोप है कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान का जेपी समूह को संरक्षण है और यही कारण है कि युवाओं पर गोली चलाने वालों को सरकार ने हमेशा बचाने का काम किया, मगर न्यायालय से बच नहीं सके.