अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में और अधिक निश्चयात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह उभरते अवसरों को हासिल कर नेतृत्व करने का समय है.
एशिया में चीन की बढ़ती भूमिका की पृष्ठभूमि में हिलेरी ने कहा कि भारत के नेतृत्व में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य को सकारात्मक शक्ल देने की क्षमता है और अमेरिका भारत को केवल पूर्व की तरफ देखने के लिए ही नहीं बल्कि उन देशों को शामिल करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है.
भारत यात्रा के दौरान चेन्नई का दौरा करने वाली पहली अमेरिकी शीर्ष राजनयिक हिलेरी ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों के बीच बंधन उनके मतभेदों पर भारी हैं और द्विपक्षीय संबंध 21वीं सदी के रिश्तों को परिभाषित करेंगे.
हिलेरी ने अन्ना सेंटेनरी लाइब्रेरी हॉल में छात्रों और विचारकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवाद से लड़ने और आर्थिक खुशहाली हासिल करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता है.’ उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि हम अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले अलग देश हैं. हम समय-समय पर असहमत होंगे. लेकिन हमारा मानना है कि मजबूत रिश्तों ने हमारी असहमति को भारी नहीं पड़ने दिया है.’
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच तमिल शब्द ‘वणक्कम’ (नमस्ते) से अपने भाषण की शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रशंसा भरी नजरों के साथ भारत की प्रगति को देख रहा है क्योंकि देश ने अपनी लोकतांत्रिक नींव को बरकरार रखा और गरीबों के जीवन में सुधार के लिए काम किया.
भारत से महत्वाकांक्षी भूमिका अदा करने की उम्मीद जताते हुए हिलेरी ने कहा, ‘यह (भारत के लिए) नेतृत्व करने का समय है. उसे पड़ोसी देशों अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के साथ आर्थिक तौर पर शामिल होने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत है तथा एशिया-प्रशांत में और अधिक निश्चयात्मक भूमिका अदा करने की जरूरत है.’
नई दिल्ली में दूसरी भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता में हिस्सा लेने के एक दिन बाद हिलेरी ने कहा, ‘यह समय 21वीं सदी के उभरते अवसरों को हासिल करने का है. यह नेतृत्व करने का वक्त है.’ उन्होंने कहा, ‘हम भारत के भविष्य पर दांव लगा रहे हैं. भारत के बाजारों के दुनिया में खुलने से और अधिक समृद्ध भारत व दक्षिण एशिया उभरेगा. हम इस बात पर दांव लगा रहे हैं कि भारत का गतिमान बहुलवादी समाज अन्य लोगों को सहिष्णुता के इसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करे. हम केवल अंधविश्वास के साथ यह दांव नहीं लगा रहे बल्कि हमने महती आकांक्षा के साथ आपकी प्रगति देखी है.’
हिलेरी ने कहा कि एशिया के भविष्य का आकार भारत सरकार तथा देश की 1.3 अरब जनता के फैसलों से तय होगा. उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत के बाजारों के खुलने से न केवल समृद्ध भारत और अधिक समृद्ध दक्षिण एशिया उभरेगा बल्कि इसका असर मध्य एशिया तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र से परे भी पड़ेगा.
हिलेरी ने असैन्य परमाणु ऊर्जा को ऐसे क्षेत्र के तौर पर इंगित किया जिसमें भारत और अमेरिका अधिक काम कर सकते हैं और उन्हें करना चाहिए. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के शांति वार्ता फिर से शुरू करने के फैसले पर खुशी प्रकट की. उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों की दिशाओं के बारे में उठे सवालों का भी जिक्र किया लेकिन कहा कि उनकी गहन नीतियों, लोकतंत्र तथा बहुलवाद के आगे मतभेद हल्के रह गये हैं.
अमेरिकी मंत्री ने कहा, ‘हम आतंकवाद को रोकने और संतुलित, व्यापक आर्थिक विकास करने जैसे समान हितों को साझा करते हैं जिनका हमारे समाज पर गहरा असर है.’ भारत की बढ़ती नेतृत्व की भूमिका पर हिलेरी ने कहा, ‘भारत आज बैठक कक्षों और कांफ्रेंस हॉलों में अपनी सही जगह ले रहा है जहां दुनिया पर असर डालने वाले सवालों पर चर्चा होती है और फैसले होते हैं.’
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्य बनाने के लिहाज से अमेरिका के समर्थन के बारे में बोलते वक्त इस बात की ओर संकेत दिया था. हिलेरी ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष, आर्थिक संबंधों में मजबूती, असैन्य परमाणु सहयोग को पूरा करने और रक्षा सहयोग को बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि हमारे देश और जनता के हित में यह कारगर होगा.’ हिलेरी ने भारत के चुनाव आयोग की भी सराहना की जिसे चुनाव कराने में वैश्विक मानदंडों को अपनाने के लिहाज से देखा जाता है. एशिया में मानवाधिकार दुरुपयोग के मुद्दों पर नयी दिल्ली के रुख की पृष्ठभूमि में मंत्री ने कहा, ‘भारत जैसे पूरे एशिया प्रशांत में बड़ी भूमिका अपनाता है, वह वैश्विक मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ बोलने की जिम्मेदारी समेत नयी जिम्मेदारियां भी ले रहा है.’
हिलेरी ने कहा कि भारत, अमेरिका और चीन के बीच सौहार्द्रपूर्ण रिश्तों का महत्व है. उन्होंने कहा, ‘यह हमेशा सुगम नहीं रहेगा लेकिन यदि हम 21वीं सदी के सबसे अधिक ज्वलंत मुद्दों में से कुछ को सुलझाने के लिए ध्यान देना चाहते हैं तो भारत, चीन और अमेरिका को प्रयासों में समन्वय करना होगा.’
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