भोपाल गैस त्रासदी के मामले में बुधवार को सामने आये कुछ शर्मसार करने वाले तथ्यों के तहत इस बात का खुलासा हुआ है कि यूनियन कार्बाइड के पूर्व मुख्य कार्य अधिकारी वारेन एंडरसन को किस तरह गिरफ्तारी के बाद तुरंत जमानत मिल गयी थी.
उधर, सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख ने इन दावों को खारिज कर दिया कि एजेंसी को उसके प्रत्यर्पण के मामले में आगे नहीं बढ़ने को कहा गया था. इस बीच, मामले में आये अदालती फैसले की चारों तरफ से हो रही निंदा का शिकार बनी केन्द्र सरकार ने मंत्रियों का समूह गठित किया. मंत्रियों का समूह पीड़ितों और उनके परिजनों के राहत एवं पुनर्वास सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करेगा.
मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की कि वह दोषियों की सजा बढ़ाने के लिए अदालती आदेश को चुनौती देगी. एंडरसन के प्रत्यर्पण के बारे में सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लगाये गये आरोपों के बीच भोपाल के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कार्बाइड अधिकारी की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद उसकी जमानत सुनिश्चित करने के लिए उनसे क्या कहा गया था. {mospagebreak}
पूर्व जिला मजिस्ट्रेट मोती सिंह ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा, ‘वे (एंडरसन एवं अन्य) बंबई से सेवा उड़ान से भोपाल आये थे. उन्हें हवाई अड्डे पर पुलिस हिरासत में ले लिया गया और यूनियन कार्बाइड के अतिथिगृह में ले जाया गया. वहां उनसे कहा गया कि उन्हें नजरबंद किया जा रहा है. उन्हें तीन विभिन्न कमरों में रखा गया और इस तरह गिरफ्तारी की कार्रवाई पूरी की गयी.’
उन्होंने कहा, ‘उसके बाद दोपहर दो बजे (सात दिसंबर 1984) मुख्य सचिव ने पुलिस अधीक्षक और डीएम को उनके कार्यालय में फोन करके एंडरसन को रिहा करने को कहा. साथ ही यह भी कहा गया कि एंडरसन को उस विमान में भेज दिया जाये जो दिल्ली जाने के लिए हवाई अड्डे पर प्रतीक्षा कर रहा था.’ सिंह ने कहा, ‘निर्देश के अनुसार हम उस जगह गये जहां उसे रखा गया था. हमने उसे जमानत देने की औपचारिकताएं पूरी की. कार्बाइड के एक अधिकारी ने उसकी जमानत दी और उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया. बाद में उसे हवाई अड्डे ले जाकर दिल्ली जाने वाले विमान में बैठा दिया गया.’
इस बीच हैदराबाद में सीबीआई के पूर्व निदेशक के विजयरामा राव ने एजेंसी के पूर्व संयुक्त निदेशक बी आर लाल के इन दावों को खारिज कर दिया कि अमेरिका ने सीबीआई से कहा था कि एंडरसन के प्रत्यर्पण मामले में आगे नहीं बढ़ा जाये. राव ने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत सरकार तथा सीबीआई ने अमेरिका से एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए हर प्रयास किये लेकिन अमेरिका ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया.’ {mospagebreak}
सीबीआई के पूर्व निदेशक ने कहा, ‘अमेरिका का दावा था कि यूनियन कार्बाइड एक स्वामित्व वाली कंपनी है तथा यह आदमी (एंडरसन) जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह फैक्टरी के दैनन्दिन परिचालन में सीधे तौर पर शामिल नहीं था. बहरहाल, हम उसे नैतिक रूप से जिम्मेदार ठहरा सकते हैं.’ भोपाल गैस त्रासदी मामले के जांच प्रभारी सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक लाल ने मंगलवार को कहा था कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने उनसे एंडरसन के प्रत्यर्पण मामले में आगे नहीं बढ़ने को कहा था.
राव ने कहा कि उस दौरान सीबीआई और विदेश मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय एवं अमेरिका के बीच काफी पत्र व्यवहार हुआ था. उन्होंने दावा किया, ‘इस प्रकार के पत्र व्यवहार में विदेश मंत्रालय की तरफ से हो सकता है कि ऐसा कोई पत्र भेजा गया हो जिसमें यह कहा गया हो कि अमेरिका एंडरसन के प्रत्यर्पण की मंजूरी नहीं दे रहा है. लेकिन मैं कह सकता हूं कि किसी भी तरह सीबीआई पर विदेश मंत्रालय की ओर से मामले को खत्म करने का दबाव नहीं था.’
लाल के दावे के बारे में सवाल पूछे जाने पर राव ने कहा, ‘उनसे (लाल से) कहा जाना कोई सवाल नहीं बल्कि सीबीआई से कहा जाना एक मुद्दा है.’ राव ने कहा, ‘वह एक पत्र की बात कर रहे हैं लेकिन वह पत्र मेरे पास से गुजरना चाहिए था. लेकिन मैं नहीं जानता कि वह कौन सा पत्र है. मीडिया में भी अभी तक देखने को नहीं मिला है.’ {mospagebreak}
राव ने कहा कि सीबीआई और विदेश मंत्रालय के बीच विभिन्न पत्रों का आदान प्रदान हुआ. ‘पत्र इस संदर्भ में हो सकता है कि अमेरिकी सरकार प्रत्यर्पण को उत्सुक नहीं है. एक बात स्पष्ट है कि अमेरिका उसे भारत प्रत्यर्पित नहीं करना चाहता था.’ सीबीआई के पूर्व निदेशक ने कहा कि सरकार, सीबीआई और विदेश मंत्रालय ने एंडरसन के प्रत्यर्पण मामले में कभी प्रयास बंद नहीं किये. ‘हमने हमेशा प्रयास किया. हमारे कई प्रयासों के बावजूद हमें महसूस होने लगा था कि कोई नतीजा नही निकलेगा.’
इस बीच नयी दिल्ली में केन्द्र सरकार ने गृह मंत्री पी चिदंबरम के नेतृत्व में मंत्रियों के एक समूह के गठन की घोषणा की. यह समूह भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करेगा और पीड़ितों एवं उनके परिजनों को राहत एवं पुनर्वास सहित उपचारात्मक कदमों के बारे में अपनी सिफारिशें देगा.
मंत्रियों के समूह में स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली, शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी, परिवहन मंत्री कमलनाथ, रसायन मंत्री एम के अलागिरी, पर्यटन मंत्री कुमारी शैलजा, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण शमिल हैं. इस समूह का पूर्व में अर्जुन सिंह नेतृत्व कर रहे थे. समूह में पुनर्वास मामलों के मध्य प्रदेश के प्रभारी मंत्री स्थायी आमंत्रित होंगे. {mospagebreak}
उधर, मध्यप्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय किया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को संवाददाताओं से चर्चा के दौरान इस मामले में केन्द्र सरकार और सीबीआई की नीयत पर शंका जताते हुए कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने गैर इरादतन हत्या की धाराओं को लापरवाही के आरोपों में बदला था तब केन्द्र सरकार और सीबीआई ने इसके लिये पुनर्विचार याचिका दायर क्यों नहीं की थी.
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण के प्रयास भी कागजी रहे तथा कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गये. अदालत के हाल में आये फैसले को निराशाजनक करार देते हुए उन्होंने कहा कि गैस पीडितों को न्याय दिलाने के लिये सरकार ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है और इसके सभी कानूनी पहलुओं पर अध्ययन के लिये एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गयी है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समिति में महाधिवक्ता आर.डी. जैन, पूर्व महाधिवक्ता विवेक तनखा एवं आनंद मोहन माथुर, प्रमुख सचिव विधि ए.के.मिश्रा तथा शांतिलाल लौढा हैं. प्रमुख सचिव विधि समिति के संयोजक रहेंगे. उन्होंने बताया कि समिति से अपनी प्रारंभिक अनुशंसा 10 दिन में और अंतिम प्रतिवेदन एक माह के भीतर देने को कहा गया है ताकि निर्धारित 90 दिन के भीतर फैसले को चुनौती दी जा सके.