किसी भी राज्य का आईना माना जाता है मंत्रालय. लेकिन मंत्रालय में ही आग बुझाने के इंतजाम इतने नाकाफी कैसे हो सकते हैं. ये ही वजह है कि मुंबई में मंत्रालय की चौथी मंजिल से भड़की आग में साजिश की बू नजर आने लगी है.
आशंका है कि चौथी मंजिल पर रखी आदर्श और लवासा घोटाले की फाइलें खाक हो गई हैं. उधर सीबीआई सूत्रों ने आदर्श की फाइलों को सुरक्षित बताया है.
इस आग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
मंत्रालय के दस्तावेजों का क्या हुआ?
आग में कौन से अहम दस्तावेज हुए खाक?
कहीं खाक तो नहीं हुए आदर्श घोटाले के सबूत?
आग की लपटों ने बख्श दी लवासा की फाइलें?
मंत्रालय की इस इमारत की चौथी मंजिल से भड़की आग बहुत कुछ कहती है. जिस कमरे से ये आग भड़की है, वो जनजाति विकास मंत्री बाबन राव पचपुते के दफ्तर की है. और चौथे मंजिल पर ही है शहरी विकास मंत्रालय. इस बिल्डिंग के पांचवें मंजिल पर है चीफ सेक्रेटरी का दफ्तर और छठे मंजिल पर मुख्यमंत्री का दफ्तर है.
लेकिन मंत्रालय की चौथी मंजिल के पूरी तरह से खाक होने के बाद सवाल उठने लगे हैं साजिश के. चौथी मंजिल पर ही शहरी विकास मंत्रालय था और बताया जा रहा है कि शहरी विकास मंत्रालय के दफ्तर में दो अहम घोटालों की फाइलें रखी थी. एक है मुंबई का आदर्श सोसाइटी घोटाला और दूसरा है पुणे की पहाड़ियों पर लवासा टाउनशिप का विवाद. बहुत मुमकिन है कि इसी आग में दोनों ही घोटालों की फाइलें जलकर खाक हो चुकी हैं.
इस आशंका को और मजबूत कर रही है मंत्रालय में आग बुझाने के उपायों में की गई घोर लापरवाही. एक राज्य की सबसे अहम इमारत होने के बावजूद मंत्रालय में आग बुझाने के सामान्य उपाय भी नहीं दिखे. चश्मदीदों के मुताबिक जो लोग जान बचाने के लिए छत पर चढ़ गए थे. उनके उतरने का रास्ता तक नहीं मिला और फायर ब्रिगेड के कर्मचारी आग बुझाने ऊपर चढ़े तो ऊपर ही फंस गए.
कुछ ही महीने पहले गृह सचिव ने मंत्रालय की सुरक्षा का जायजा लिया था और सुरक्षा के लिहाज से 18 मामलों पर चर्चा की गई थी. लेकिन इसके बाद तैयार हुई रिपोर्ट सिर्फ कागजों में ही रह गई और अब मंत्रालय में लगी आग ने सरकार की नीयत को सवालों के घेरे में ला दिया है.