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...और फफक कर रो पड़े IAS अशोक खेमका

जब एक ईमानदार व्यक्ति की सत्यनिष्ठा पर ही प्रश्न उठाया जाने लगे और उसकी छवि को कलंकित करने की ही कोशिश की जाने लगे तो भला वह क्या करे? ऐसा ही हुआ हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के साथ और वो फफक कर रो पड़े.

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अशोक खेमका
अशोक खेमका

जब एक ईमानदार व्यक्ति की सत्यनिष्ठा पर ही प्रश्न उठाया जाने लगे और उसकी छवि को कलंकित करने की ही कोशिश की जाने लगे तो भला वह क्या करे? ऐसा ही हुआ हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के साथ और वो फफक कर रो पड़े.

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दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा के हरियाणा के चार जिलों में सभी भूमि सौदों की जांच का आदेश देने के बाद ईमानदारी से काम करने वाले खेमका को महानिरीक्षक पंजीकरण के पद से स्थानांतरित कर दिया गया था.

देश के प्रथम परिवार पर ऊंगली उठाने वाले खेमका को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और साथ ही उनकी सत्यनिष्ठा पर ही सवाल उठने लगे. हेडलाइंस टुडे के एक कार्यक्रम के दौरान खेमका पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने जब यह आरोप लगाया कि स्थानांतरण किए जाने के बाद भी खेमका ने अंतिम दिन जो जांच के आदेश दिए वो उनके राजनीतिक अकांक्षा को दर्शाता है तो खेमका खुद को नहीं रोक सके और रो पड़े. तुलसी ने खेमका के इस निर्णय को चौंका देने वाला करार दिया.

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हालांकि, खेमका कुछ पल के लिए तो खुद पर काबू नहीं रख सके लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाला और सच्चाई के लिए लड़ते रहने का प्रण किया.

उन्होंने तुलसी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, ‘मैं सरकारी अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाला नहीं हूं. अगर यह मेरा ऑफिस में आखिरी दिन भी होता है तो मैं जिम्मेदारियों से मुंह नहीं फेरने वाला हूं.’

उन्होंने तुलसी पर प्रहार करते हुए कहा, ‘मेरी कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा नहीं है. मैं एक आईएएस अधिकारी के रूप में सेवानिवृत होना पसंद करूंगा.’

गौरतलब है कि खेमका ने भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार को उन्हें गलत साबित करने के लिए ललकारा है और न्याय और सच्चाई के लिए लड़ने का निर्णय किया है.

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