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स्‍वामी की अर्जी मंजूर, मुश्किल में चिदंबरम

2जी केस में पी. चिदंबरम की मुश्किल बढ़ती जा रही है. सीबीआई की विशेष अदालत ने सुब्रह्मण्‍यम स्वामी की उस याचिका को मंजूर कर लिया है, जिसमें चिदंबरम की भूमिका के खिलाफ दो गवाहों से पूछताछ की मांग की गई थी.

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पी चिदंबरम
पी चिदंबरम

2जी केस में पी. चिदंबरम की मुश्किल बढ़ती जा रही है. सीबीआई की विशेष अदालत ने सुब्रह्मण्‍यम स्वामी की उस याचिका को मंजूर कर लिया है, जिसमें चिदंबरम की भूमिका के खिलाफ दो गवाहों से पूछताछ की मांग की गई थी.

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अदालत ने दोनों गवाहों को पेश करने की इजाजत दे दी, लेकिन कहा कि पहले सुब्रह्मण्‍यम स्वामी खुद गवाही देंगे. 17 दिसंबर को बतौर गवाह स्वामी की पेशी होगी.

स्वामी की गवाही के बाद दोनों गवाहों की पेशी होगी. एक गवाह सिंधु श्री खुल्लकर वित्त मंत्रालय़ में संयुक्त सचिव हैं और दूसरे गवाह एस सी अवस्थी सीबीआई में संयुक्त निदेशक हैं. चिदंबरम की भूमिका को लेकर दोनों गवाहों से सुब्रह्मण्‍यम स्वामी पूछताछ करेंगे.

सुब्रह्मण्‍यम स्‍वामी ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि इसे किसी के हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि उनका अगला कदम यह होगा कि वे पी. चिदंबरम को समन भेजे जाने की मांग करेंगे.

दिल्ली की जिला अदालत में स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी यह फैसला सुनाया. पी चिदंबरम को आरोपी बनाने की मांग करते हुए कोर्ट में अर्जी जनता पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने डाली थी.

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गौरतलब है कि मौजूदा गृहमंत्री 2जी घोटाले के वक्त वक्त वित्त मंत्री हुआ करते थे. तीन दिसंबर को कोर्ट ने स्वामी की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था.

स्वामी के मुताबिक 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ियों की पूरी जानकारी पी चिदंबरम को थी. वे चाहते तो घोटाला रुक सकता था.

केस में चिदंबरम की संलिप्तता साबित करने के लिए स्वामी ने गवाहों से पूछताछ करने की मांग की थी. कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 17 नवंबर को घोटाले से जुड़े दस्तावेज स्वामी को उपलब्ध कराए थे.

हालांकि चिदंबरम को सीबीआई ही नहीं खुद पीएम भी क्लीन चिट दे चुके हैं. लेकिन पीएमओ को भेजे वित्त मंत्रालय के नोट ये संकेत मिलता है कि स्पैक्ट्रम आवंटन के नाम पर ए राजा जो कुछ कर रहे थे, उससे वाकिफ थे तब के वित्त मंत्री चिदंबरम.

वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने 25 मार्च 2011 को पीएमओ को एक मेमो भेजा था. इस मेमो में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर अहम जानकारी दी गई है.

मेमो में लिखा गया है 29 नवंबर 2007 को टेलीकॉम मंत्रालय ने टू जी लाइसेंस पर वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी. ये चिट्ठी 9 जनवरी 2008 को तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के पास भी पहुंची.

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चिट्ठी वित्त मंत्रालय के अफसरों ने इस सुझाव के साथ दी कि 2 जी आवंटन  में एंट्री फी रिवीजन और नीलामी की प्रक्रिया को लाइसेंस देने का पैमाना बनाया जाए. साथ ही ये भी बताया गया कि 15 जनवरी 2008 को टेलीकॉम कमीशन की बैठक  होने वाली है.

डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एफेयर्स ने इस बारे में टेलीकॉम मंत्रालय को कोई जवाब नहीं भेजा. और ना ही बैठक के बारे में कुछ पूछा गया. मामला चिदंबरम की जानकारी में आने के अगले ही दिन 10 जनवरी को टेलीकॉम मंत्री ए राजा ने नीलामी के बजाय पहले आओ पहले पाओ के पैमाने पर 2 जी लाइसेंस बांट दिए.

इससे साफ है कि चिदंबरम स्पैक्ट्रम आवंटन से अनजान नहीं थे, लेकिन क्या इन तथ्यों से वो आरोपी ठहराए जा सकते हैं? फैसला कोर्ट को करना है.

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