प्रस्तावित लोकपाल विधेयक पर अपने रुख में एक तरह से नरमी का संकेत देते हुए प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि संसद सर्वोच्च है और अगर वह विधेयक को खारिज कर देती है, तो वे इसे स्वीकार करेंगे.
हजारे ने संसद द्वारा लोकपाल विधेयक पारित करने के संबंध में अपनी ओर से निर्धारित 15 अगस्त की समय-सीमा पर भी लचीलापन दिखाया. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें लगेगा कि सरकार सही मार्ग पर आगे बढ़ रही है, तो इस विषय पर वे सहयोग करने को तैयार हैं.
यह पूछे जाने पर कि अगर संसद में संयुक्त समिति की ओर से तैयार लोकपाल विधेयक के मसौदे को नामंजूर कर दिया जाता है, तो उनका रुख क्या होगा, हजारे ने कहा, ‘‘हम इसे स्वीकार करेंगे. हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं.’’
हजारे ने भ्रष्टाचार के विषय पर नौ अप्रैल को पांच दिनों का आमरण अनशन समाप्त करने के बाद कहा था कि अगर सरकार 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक पारित नहीं करती है, तो वे फिर से अनशन शुरू करेंगे.
पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में हजारे ने कहा, ‘‘एक बार हमें लगेगा कि विधेयक ठीक ढंग से आगे बढ़ रहा है, तो कुछ लचीलापन दिखाया जा सकता है.’’ बहरहाल, उन्होंने कहा कि वे महसूस करते हैं कि संसद द्वारा एक महीने में विधेयक पर निर्णय किया जाना संभव है.’’
हजारे ने कहा कि अगर कोई समझता है कि विरोध करने का उनका तरीका सिद्धांतों का आतंक है, तो जब तक यह लोकहित में है, तब तक यह जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना गलत नहीं होगा कि हम सिद्धांतों के आतंक में संलग्न हैं, लेकिन इसमें लोकहित जुड़ा होना चाहिए. यह जरूरी है अन्यथा यह तानाशाही की दिशा में बढ़ जायेगी.’’
उन्होंने कहा कि वे लोकपाल विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श करने को तैयार हैं और देश के राजनीतिक नेतृत्व को शामिल करना चाहते हैं.
हजारे ने कहा, ‘‘हमें सभी लोगों को विश्वास में लेना है, जिसमें राजनीतिक वर्ग भी शामिल है. अगर उन्हें कोई संदेह है, तो हम राजनीतिक दलों के प्रमुखों से चर्चा कर सकते हैं.’’
उन्होंने स्वीकार किया कि केवल लोकपाल विधेयक पारित होने से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा, लेकिन ऐसे चलन पर कुछ हद तक लगाम लगाया जा सकेगा. उन्होंने नौकारशाहों के लिए अपनी सम्पत्ति की घोषणा करने को अनिवार्य बनाने के लिए सख्त कानून बनाने का पक्ष लिया.