scorecardresearch
 

अपनी जन्मभूमि से रिश्ता बना रहेगा: एमएफ हुसैन

हाल ही में कतर की नागरिकता हासिल करने वाले दिग्गज पेंटर एम एफ हुसैन ने कहा है कि वह अपनी जन्म भूमि से अपना रिश्ता नहीं तोड़ेंगे और हमेशा भारत में जन्मे पेंटर बने रहेंगे.

Advertisement
X

Advertisement

हाल ही में कतर की नागरिकता हासिल करने वाले दिग्गज पेंटर एम एफ हुसैन ने कहा है कि वह अपनी जन्म भूमि से अपना रिश्ता नहीं तोड़ेंगे और हमेशा भारत में जन्मे पेंटर बने रहेंगे.

दोहा में हाल ही में भारतीय पासपोर्ट छोड़ने वाले हुसैन ने ‘द टाइम्स’ से कहा, ‘‘मैं हमेशा भारत में जन्मा पेंटर बना रहूंगा. मुझपर कोई प्रतिबंध नहीं है.’’ अखबार का कहना है कि इसकी कम ही उम्मीद है कि उम्र के 94 पड़ाव पार कर चुके हुसैन हाल फिलहाल भारत लौटेंगे. उनके खिलाफ अनेक मामले चल रहे हैं और उनमें इजाफा होने का खतरा है. साथ ही हिंसा का खतरा बना हुआ है.

हुसैन ने कहा, ‘‘(भारत के) गृहसचिव ने कहा कि वे सुरक्षा प्रदान करेंगे. मुझे बताएं (पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को क्या कम सुरक्षा हासिल थी. दोनों की हत्या कर दी गई.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिंदगी के उस मुकाम पर हूं जहां मैं शांति और पूरे आराम से काम करना चाहता हूं. इस मुकाम पर मुझसे किसी एक कमरे में बैठा रहना और बाहर आना जाना बंद करना नहीं हो सकता.’’
‘भारत के पिकासो’ के नाम से मशहूर हुसैन ने बताया कि इस्पात किंग लक्ष्मी मित्तल से एक नए ब्रिटिश संग्रहालय के बारे में बात चल रही है. पिछले हफ्ते उन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर जॉन बरकाउ ने लाइफटाइम एचिवमेंट अवार्ड से नवाजा था. यह अवार्ड ब्रिटिश परमार्थ संगठन ‘नेक्स्ट स्टेप फाउंडेशन’ की ओर से दिया गया.

Advertisement

फाउंडेशन के संरक्षक और भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने कहा, ‘‘साफ तौर पर वह (हुसैन) कला के इतिहास की एक दिग्गज हस्ती हैं. वह महानतम जीवित भारतीय कलाकार हैं.’’ वाज ने हुसैन को दिए गए सम्मान के बारे में कहा, ‘‘इसका राजनीति या धर्म से लेना देना नहीं है, यह कला को ले कर अवार्ड है.’’ हुसैन ने कहा, ‘‘इन वर्षों में मैंने बहुत सारी चीजें शायरी, फिल्म, पेंटिंग की. मुझे उम्मीद थी कि इनमें कोई एक कामयाब हो जाएगी..तभी यह हंगामा मचा जो दस साल चला.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने दोस्त से कहा, इसमें शक है कि क्या मैं इतिहास में सिर्फ पेंटिंग के लिए जाना जाउंगा, लेकिन इसने एक स्थायी मुकाम दिला दिया.’’ छह दशक की कला यात्रा के बाद अचानक हुसैन 1996 में लोगों के एक हिस्से के गुस्से के केन्द्र में तब आ गए जब एक पत्रिका ने ‘‘एम एफ हुसैन: ए पेंटर ऑर बुचर’’ शीषर्क से एक लेख प्रकाशित किया.

Advertisement
Advertisement