जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को समर्थन देने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए उनको अपनी टीम के साथ जुड़े ‘नक्सलियों’ से दूरी बनानी होगी.
स्वामी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं बाबा रामदेव के तो साथ हूं, लेकिन मैं अन्ना हजारे का सर्मथन इसलिये नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी टीम में नक्सली हैं. यदि अन्ना को मेरा सर्मथन चाहिए तो उनको उन नक्सलियां से नाता तोड़ना होगा, जो अभी भी उनकी टीम के सदस्य हैं.’
उन्होंने कहा कि वह अन्ना हजारे की इस जिद से सहमत नहीं हैं कि सबसे पहले लोकपाल बिल को ही लाना चाहिए. स्वामी ने कहा कि लोकपाल बनने के बाद भी भारत से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि अन्ना के लिये यह भी अच्छी बात नहीं है कि वे यह दावा करें कि जो कुछ वे कहते हैं केवल वही सत्य और बाकी का कोई अर्थ नहीं है. वित्त मंत्री पी.
चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘क्लीनचिट’ देने के बारे में स्वामी ने कहा कि 2-जी मामले में शुक्रवार के फैसले के खिलाफ वे पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे. वे इसके अलावा इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. स्वामी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने यह कभी दावा नहीं किया कि केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2जी मामले में रिश्वत ली है, लेकिन जो भी उन्होंने किया है उससे देश को हानि हुई है.
एक सवाल के जवाब में जनता पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि असम में हाल ही में हुई हिंसा के लिये ‘बांग्लादेशी घुसपैठिये’ जिम्मेदार हैं. उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वे एक ऐसे ‘जुझारू’ इंसान हैं, जिन्होंने अपने प्रदेश के लिये बहुत भला किया है.
मोदी के प्रधानमंत्री बनने की क्षमता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की क्षमता के कई अन्य लोग भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का चयन लोगों के द्वारा नहीं किया जाता है. स्वयं के प्रधानमंत्री बनने के बारे में स्वामी ने तुरंत कहा, ‘अगर भगवान ने चाहा मैं इस पद तक जाउं तो मैं प्रधानमंत्री बन जाउंगा.’