दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने मंगलवार को कहा कि महिलाओं की सुरक्षा केवल पुलिस और प्रशासन के भरोसे नहीं की जा सकती है बल्कि किसी महिला की सुरक्षा परिवार, समाज और कौम से शुरू होती है.
राजधानी में एक सामाजिक संगठन के कार्यक्रम में शीला दीक्षित ने कहा, ‘महिला की सुरक्षा सिर्फ पुलिस और प्रशासन के भरोसे नहीं की जा सकती है. यह सोचना ठीक नहीं है कि पुलिस आयेगी और महिला को सुरक्षा प्रदान करेगी क्योंकि यह इसका छोटा सा अंग है. महिला की सुरक्षा परिवार, समाज और कौम से शुरू होती है.’
गौरतलब है कि स्नातक में द्वितीय वर्ष की छात्रा राधिका तोमर की धौला कुंआ स्थित रामलाल आनंद कॉलेज के पास आज सुबह साढ़े दस बजे अज्ञात लोगों ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी, जब वह कॉलेज के पास स्थित पैदल पुल पार कर रही थी.
महिला दिवस के सौ वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘पहली दफा 1911 में विश्व महिला दिवस मनाया गया था. हमें देखना होगा, इस दरम्यान हमने क्या खोया और क्या पाया. महिलाएं शिक्षा, राजनीति, विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में बहुत आगे बढ़ी हैं और 21 वीं सदी में हम कई नये कीर्तिमान कायम करेंगे.’
दिल्ली की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘महिलायें विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हैं लेकिन फिर भी आम महिला के साथ भेदभाव हो रहा है. शिक्षा का अधिकार सहित कई परिवर्तन हो रहे हैं, जिसके परिणाम भविष्य में दिखाई देंगे.’ {mospagebreak}
शीला ने कहा, ‘आधी सृष्टि को यदि हम वह अधिकार नहीं देंगे जिसकी वह हकदार है तो हमारी कल्पनायें साकार नहीं होगी. इस वक्त विश्व को शांति, सदभावना और प्रेम की आवश्यकता है और दिल खोलकर एक महिला ही प्रेम दे सकती है.’
इस कार्यक्रम में कांग्रेसी सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘महिला सशक्तिकरण एक बिंदु नहीं बल्कि एक यात्रा है. एक वक्त में हम सोच भी नहीं सकते थे लेकिन आज दिल्ली की मुख्यमंत्री, देश की राष्ट्रपति, नेता प्रतिपक्ष और सबसे बड़े गठबंधन की अगुवा महिला है.’
उन्होंने कहा, ‘छोटे छोटे प्रयासों को ठोस बनाया गया है. महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबर का हकदार बनाया गया है. इस वक्त करीब 15 लाख महिलाएं पंचायती राज प्रणाली की जड़ है. यदि पिछले सौ सालों में पुरूषों में 2 से 3 गुना तब्दीली आयी है तो देश की महिला में सौ गुना परिवर्तन हुआ है.’
इस मौके पर भाजपा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष और टीवी कलाकार स्मृति ईरानी ने कहा, ‘इस वक्त न महिला कोख में सुरक्षित है और न ही शहर की सड़कों में. क्या यह जिम्मेदारी केवल सरकार और प्रशासन की है.’ उन्होंने कहा, ‘महिला स्वयं समझे की वह खुद अपनी ताकत है. बेटी कोख में हो या सड़कों पर वह सुरक्षित रहे.’