उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के निर्देश पर लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चुनाव निशान हाथी की प्रतिमाओं को ढंकने का काम गोमतीनगर स्थित भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर शुरू हुआ.
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि पूर्वाहन करीब 11 बजे श्रमिकों के एक दल ने स्मारक स्थलों पहुंचकर मूर्तियों को ढकने के लिये उनके किनारे लोहे की बल्लियां लगानी शुरू कीं. उन्होंने बताया कि यही कवायद सामाजिक परिवर्तन स्थल पर भी शुरू की गयी जहां मायावती और बसपा के संस्थापक कांशीराम की मूर्तियां लगी हुई हैं.
इस बीच, नोएडा से प्राप्त खबर के मुताबिक, वहां स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर भी बसपा के प्रतीक चिह्न रूपी मूर्तियों को ढकने का काम जारी है.
ग्रेटर नोएडा में मायावती और हाथी की मूर्तियों को ढकने का काम सोमवार को शुरू हुआ और मायावती के पैतृक गांव बादलपुर तथा गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बने पार्को समेत अनेक स्थानों पर यह कवायद की गयी.
गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी हृदयेश कुमार ने बताया कि ग्रेटर नोएडा में हाथी की सभी 36 मूर्तियों तथा मुख्यमंत्री की दो प्रतिमाओं को ढक दिया गया है. साथ ही नोएडा प्राधिकरण को भी अपने क्षेत्र में लगी ऐसी मूर्तियों पर आवरण चढ़ाने के आदेश दिये गये हैं.
उधर, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उमेश सिन्हा ने बताया कि मूर्तियां ढकने के आदेश दे दिये गये हैं और लखनऊ तथा गौतमबुद्ध नगर के जिला निर्वाचन अधिकारियों को उनका अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा.
सिन्हा ने कहा, ‘हालांकि आयोग ने इस काम के लिये 11 जनवरी तक का समय दिया है और जिला प्रशासन आवश्यक सामग्री एकत्र करने के लिये कुछ वक्त ले सकता है लेकिन अगर वह मूर्तियां ढकने का काम फौरन शुरू करा सकता है तो उसे तुरंत ऐसा करना चाहिये.’
इस बीच, मूर्तियों को ढकने का मामला अदालत में भी चला गया है. धीरज सिंह नामक सामाजिक कार्यकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करके कहा है कि हाथी भगवान गणेश का प्रतिरूप है और उसकी मूर्तियों को ढकने से धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं.
इस याचिका पर 11 जनवरी को सुनवाई होने की सम्भावना है. गौरतलब है कि विपक्षी दलों की मांगों के बीच चुनाव आयोग ने गत शनिवार को राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर जगह-जगह लगी मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव निशान हाथी की प्रतिमाओं को ढकने का आदेश दिया था.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने इस फैसले पर जल्द से जल्द अमल करने की हिदायत दी थी.