खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना की लहरों ने एक बार फिर दिल्ली वालों की नींद उड़ा दी है. हथिनीकुंड बराज से छोड़ा गया 7 लाख 44 हज़ार क्यूसेक पानी दोपहर तक यमुना के किनारों पर फैल सकता है.
अगर 11 दिन पहले के ही दिल्ली के हालात से तुलना करें तो मुसीबत और भी बड़ी लगती है.
पिछली बार हरियाणा से करीब 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था और 10 सितंबर को जलस्तर 206.84 मीटर तक पहुंचा था. इस बार 7 लाख 44 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. अगर ये पानी भी उसी तरह से बढ़े, तो इसबार खतरा 207.5 मीटर तक पहुंच सकता है. हकीकत ये है कि दिल्ली के निचले इलाकों में सैलाब का पानी पहले भी घुस चुका है. ऐसा लगता है कि निचले इलाकों में रहने वालों को राहत के लिए भी और लंबा इंतजार करना पडोगा.
यमुना नगर के करीब बाढ़ के पानी ने 300 मीटर लंबा किनारा काट दिया है. जिसके बाद प्रशासन और सेना दोनों ही गावों को बचान के लिए जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं.
बाढ़ से पहले से ही दर्जनों गांव तबाह हैं ऐसे में इस कटान ने दूसरे गावंवालों की भी चिंता बढ़ा दी है. वो भी इस कहर से बचने के लिए कटे हुए किनारे को पाटने में जुटे हैं. ऐसे में अगर हथिनीकुंड से आ रहे सात लाख क्यूसक पानी के ताजेवाला पहुंचने से पहले इस कटाव को पाटा नहीं गया तो इसके नतीजे भयंकर हो सकते है.