पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने आज 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत की और दरगाह के विकास के लिए दस लाख डालर (5 करोड़ रुपये) की राशि देने का ऐलान किया.
भारत के एक दिवसीय दौरे के अंत में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां पहुंचे जरदारी ने कहा कि वह इस पवित्र स्थान पर आकर ऐसी रूहानी खुशी महसूस कर रहे हैं, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
जरदारी के साथ आए प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने दरगाह के विकास के लिए दस लाख अमेरिकी डालर देने का ऐलान किया. अंजुमन कमेटी के उपाध्यक्ष सैयद कलीमुद्दीन चिश्ती ने यह जानकारी दी.
गहरे नीले रंग का सलवार कमीज पहने 56 वर्षीय जरदारी के साथ उनके पुत्र बिलावल, गृह मंत्री रहमान मलिक और 44 सदस्यीय मंत्रिमंडल के बाकी सदस्य थे. वह सूफी संत की दरगाह में तकरीबन 20 मिनट तक रहे और 42 वर्ग मीटर लंबी लाल चादर चढ़ाई और फूल भी चढ़ाए. बिलावल ने हरे रंग की चादर चढ़ाई.
केन्द्रीय मंत्री पवन बंसल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ाई. जरदारी की यात्रा के लिए मिनिस्टर इन वेटिंग बंसल ने शांति और सौहार्द की प्रार्थना की.
जरदारी ने इस मौके पर आगंतुक पुस्तिका में लिखा, ‘इस मुकद्दस मुकाम पर आकर मुझे जो रूहानी खुशी महसूस हुई है वो नाकाबिले बयान है. अल्लाह ताला से दुआ है कि वो तमाम इंसानियत के लिए आसानियां पैदा करे. आमीन.’ जरदारी ने ‘फातिहा’ पढ़ा और मस्जिद परिसर की परिक्रमा लगायी. उनसे पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति के तौर पर परवेज मुशर्रफ और जिया उल हक गरीब नवाज के हुजूर में हाजिरी लगा चुके हैं.
राष्ट्रपति जरदारी आज सुबह दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात और उनके द्वारा आयोजित भोज में शामिल होने के बाद विमान से जयपुर के सांगानेर हवाई अड्डे पर उतरे. वहां से हेलीकाप्टर से अजमेर में घुगरा हेलीपैड पहुंचे. हेलीपैड से 12.3 किलोमीटर के फासले पर स्थित दरगाह जाने के लिए पाकिस्तानी मेहमान सड़क मार्ग से रवाना हुए.