अमेरिका ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद पर घोषित एक करोड़ डॉलर के इनाम का पाकिस्तान के साथ उसके सम्बंधों से कुछ भी लेना-देना नहीं है. अमेरिका ने यह भी आशा जाहिर की है कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के भारत दौरे पर इस घोषणा का कोई असर नहीं होगा और वह इसे रचनात्मक कदम मानता है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, 'दरअसल, हम ऐसे सबूत के लिए उत्सुक हैं, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान में या और कहीं उसके (सईद) खिलाफ मुकदमा चलाने में किया जा सके. और आपको पता है कि एक करोड़ डॉलर की राशि लोगों को ऐसे सबूत के साथ सामने आने के लिए प्रेरित करेगी.'
टोनर ने इस बात को दोहराया कि नवम्बर 2008 के मुम्बई हमले के मास्टरमाइंड के पर यह पुरस्कार बहुत वास्तविक है. उन्होंने कहा, 'यदि किसी भी व्यक्ति के पास ऐसे सबूत हैं या वह ऐसे सबूत जुटा सकता है, जो मुम्बई हमले और अन्य आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता साबित करते हों, तो उसे आगे आना चाहिए.'
यह पूछे जाने पर कि जरदारी के भारत दौरे से पूर्व इस घोषणा का क्या भारत-पाकिस्तान सम्बंधों पर कोई प्रतिकूल असर होगा, टोनर ने कहा कि 'रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम' हमारे कूटनीतिक सुरक्षा चैनलों की एक अलग प्रक्रिया है.
टोनर ने कहा, 'लिहाजा इसका अन्य मामलों से कोई सम्बंध नहीं है. हम बिल्कुल नहीं चाहते कि इसका उनके (जरदारी) भारत दौरे पर कोई असर हो. हम समझते हैं कि उनका भारत दौरा वास्तव में बहुत रचनात्मक है, और हम सब यही चाहते हैं.'
टोनर ने कहा कि अमेरिका दोनों देशों के बीच बातचीत में कोई भूमिका नहीं निभा रहा है. लेकिन जब भारत व पाकिस्तान के बीच बातचीत हो रही होती है और दोनों के बीच बेहतर सहयोग विकसित होता है तो यह हमारे लिए एक लाभकारी स्थिति होती है.