जानी मानी लेखिका अरुंधति राय ने सलाह दी है कि सरकार और माओवादियों के बीच मध्यस्थता के लिए अनुभवी लोगों की एक समिति बनाई जानी चाहिए लेकिन उन्होंने खुद इसका हिस्सा होने की संभावना से यह कहकर इंकार किया कि उनमें किसी मध्यस्थ के लिए जरूरी समझी जाने वाली ‘योग्यता’ नहीं है.
उन्होंने एक निजी टीवी चैनल से कहा ‘सचमुच नहीं. मैं सरकार और माओवादियों के बीच मध्यस्थता के लिए समिति का हिस्सा नहीं होना चाहूंगी. मुझे नहीं लगता कि मुझमें वह योग्यता है.’ अरुंधति ने कहा ‘मैं नहीं जानती. मुझे नहीं लगता कि मैं इसके योग्य हूं.’ लेखिका से पूछा गया था कि क्या वह मध्यस्थ बनने के लिए तैयार होंगी या माओवादियों तथा सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए गठित की जाने वाली किसी समिति का हिससा होंगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मध्यस्थता के लिए समिति का हिस्सा होना पसंद करेंगी उन्होंने कहा ‘‘मुझे लगता है कि हम सबको वह करना चाहिए जो हम कर सकते हैं. लेकिन निश्चित तौर पर मुझे नहीं लगता कि मैं इसके लिए योग्य हूं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह बातचीत के लिए आगे आने को माओवादियों का आह्वान करना चाहेंगी उन्होंने कहा ‘नहीं. ऐसे समय में नहीं जब दो लाख अर्धसैनिक कर्मी गांवों में तैनात हैं.’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सबसे पहले ‘‘बिना शर्त’’ संघर्ष विराम की घोषणा करनी चाहिए.