कश्मीर की घाटी में आग लगी है और उस आग की आंच में पाकिस्तान की साजिश की परतें पिघल रही हैं. कई ऐसे खुलासे हो रहे हैं जिन्होंने पाकिस्तान के आतंकपरस्त चेहरे को और दागदार कर दिया है. साथ ही अलगाववादियों की साजिश का भी पर्दाफाश हो रहा है.
अलगाववादी नेता गिलानी घेरे में
जम्मू-कश्मीर पुलिस के हाथ लगे एक वीडियो से ये खुलासा हुआ है कि किराए के पत्थरबाजों से घाटी में आतंकवादी हिंसा फैला रहे हैं. साथ ही पाकिस्तान की उस साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है जिसके तहत हर साल करोड़ों रुपए का फंड आतंकियों को वो भेजता है. पत्थर फेंकने वाले आरोपी का कहना है कि अलगावादी नेता गिलानी के लोग पत्थर फेंकने के लिए हर दिन के हिसाब से 500 रुपए देते हैं.
भारत के खिलाफ कश्मीरी युवाओं का इस्तेमाल
दरअसल खुद को कश्मीरियों का रहनुमा बताने वाले अलगाववादियों की असलियत खुल रही है. कश्मीरी नौजवानों में किस तरह भारत के खिलाफ नफरत का जहर भरा जा रहा है इसकी पोल खुलने लगी है. चंद रुपए देकर कश्मीर के अलगाववादी नेता अपने ही नौजवानों को बरगला रहे हैं, उन्हें हिंसा की आग में झोंक रहे हैं. जिन हाथों को अपने और अपने मुल्क की तरक्की का जरिया होना चाहिए उन्हीं हाथों से घाटी में अमन का गला घोंटा जा रहा है.
पत्थरबाजी के पीछे पाकिस्तान की साजिश
किराए के नौजवानों से घाटी में पत्थरबाजी कराने वाले अलगाववादियों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं तो सरहद के उस पार बैठे इनके पाकिस्तानी आकाओं की साजिशों का भी खुलासा हो रहा है. 'आज तक' को मिली जानकारी के मुताबिक कश्मीर में ताजा पत्थरबाजी के पीछे पाकिस्तान का हाथ है और अलगाववादी जो रकम बांट रहे हैं वो सीधे पाकिस्तान से भेजी गई है.
घाटी में अशांति के लिए सीमा पार से फंडिंग
सूत्रों के मुताबिक हवाला के जरिए पाकिस्तान से 60 करोड़ रुपए कश्मीर भेजे गए हैं. आईएसआई इस रकम इस्तेमाल कश्मीर के माहौल में जहर घोलने के लिए कर रही है. पैसा भेजने के लिए जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद और हिजबुल के आका सलाहुद्दीन के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. लश्कर-ए-तौएबा और हिजबुल के स्थानीय संपर्कों के सहारे 60 करोड़ की रकम आतंकियों तक पहुंची.
पाकिस्तान की दोहरी विदेश नीति का खुलासा
यही नहीं, जांच एजेंसियों ने आतंकियों और पाकिस्तानी हैंडलर्स के बीच बातचीत इंटरसेप्ट की है. एक तरफ पाकिस्तान कश्मीर में आग लगा रहा है तो दूसरी तरफ वो अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामन भारत को नीचा दिखाने की कोशिशों में भी जुटा है. संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मानवाधिकार की बहस छिड़ी तो पाकिस्तान ने वहां भी अपनी ढपली बजानी शुरू कर दी. यूएन में पाकिस्तान की कमिश्नर मलीहा लोधी ने बुरहान को कश्मीर का नेता और उसकी मौत को एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग बताकर भारत के जख्म पर नमक रगड़ने की कोशिश की जिसका जवाब भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने दो टूक शब्दों में दी.