पाकिस्तान के रावलपिंडी की रहने वाली 6 वर्षीय तालिया रहमान इन दिनों जम्मू-कश्मीर के पुंछ में अपनी बढ़ी हुई छुट्टियों का भरपूर लुत्फ उठा रही है. तालिया के सभी दोस्त उसके अपने देश में स्कूलों में लौट चुके हैं, लेकिन तालिया छुट्टियां मना रही हैं.
लेकिन, इस छोटी सी बच्ची को इस बात का एहसास तक नहीं है कि उसके परिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही दुश्मनी के कारण जबरदस्ती भारत में रुकना पड़ रहा है. शुक्रवार को करीब एक दशक बाद पुंछ में बर्फबारी हुई है और बर्फबारी का लुत्फ ले रही तालिया के अनुसार उसे किताबें पढ़ना तो अच्छा लगता है लेकिन स्कूल जाना बोरिंग.
तालिया करीब एक महीने पहले पाकिस्तान बॉर्डर से लगे जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में अपने माता-पिता व भाई-बहनों के साथ अपने रिश्तेदारों से मिलने आयी थी. उन्हें 14 जनवरी को चक्कन दा बाग-रावलकोट बस रूट से वापस पाकिस्तान जाना था लेकिन बॉर्डर पर हिंसा के बाद एलओसी के पास सड़क को बंद कर दिए जाने के कारण वे यहीं फंस गए.
हालिया सीजफायर का उल्लंघन और दो भारतीय सैनिकों के सिर काटने की घटना ने भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी पर तनाव को बढ़ा दिया है, जिस कारण नियंत्रण रेखा के आर-पार यात्रा व व्यापार पर असर पड़ा है.
तालिया के पिता अब्दुल रहमान सबर कहते हैं, ‘हमारा आधा परिवार पाकिस्तान में है और हम जल्द से जल्द वहां पहुंचना चाहते हैं, क्यों कि वहां हमारे बच्चें परेशान हैं.’ अब्दुल रहमान की पाकिस्तान की राजधानी इस्लाहमाबाद में ट्रैवल एजेंसी है. सबर परिवार के एक सदस्य 1947 में विभाजन के समय पाकिस्तांन चले गए थे.
अब्दुल को इस दौरान अपनी कई बिजनेस मीटिंग रद्द करनी पड़ी हैं. उनका कहना है कि सड़क बंद होने के कारण उन्हें 50 लाख का नुकसान हो चुका है. अब्दुल स्वयं भी राजनीति में रुचि रखते हैं और उन्हें लगता है कि हर तरह के विवाद से निपटने के लिए आपसी बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. 2006 में रावलकोट से पुंछ के बीच चली ‘शांति बस’ में सफर करने वाले ग्रुप में अब्दुल अपने परिवार के 17 लोगों के साथ मौजूद थे.
हालिया विवाद से पहले पाकिस्तानन से कई लोग पुंछ आए थे और विवाद के कारण सड़क बंद हो जाने के बाद वे अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं. अब्दुल की पत्नी नसीब अख्तर कहती हैं, ‘मुझे उम्मीप है और मैं दुआ करती हूं कि इस सोमवार को सड़क खुल जाए.’
गौरतलब है कि चक्कंन दा बाग से रावलकोट के बीच यात्री बस हर सोमवार को चलती है.
हालांकि इस परिवार के पास कश्मीर में उरी या वाघा बॉर्डर के जरिए भी पाकिस्तान वापस जाने का विकल्प है. लेकिन इससे उन्हें घर पहुंचने में तीन दिन और लग जाएंगे. सोमवार 21 जनवरी को उन्हें पता चलेगा कि वे चक्कन दा बाग-रावलकोट रोड से घर जा पाएंगे या नहीं. तब तक तालिया अपने भाई-बहनों के साथ छुट्टियों का आनंद ले रही है.