देश की एक चौथाई आबादी यानी 33 करोड़ लोग सूखे का कहर झेल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्र सरकार ने तथ्य सामने रखा है. सरकार की ओर से कहा गया है कि देश के कुल 256 जिले सूखा प्रभावित हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.
मनरेगा के लिए जारी हुए 19 हजार करोड़ रुपये
इसके पहले कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि मनरेगा के लिए इस साल का मनरेगा का बजट करीब 38 हजार है. इसमें से 19500 रिलीज कर दिए गए हैं. अब तक करीब 12 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. इसके अलावा सात हजार करोड़ रुपये और भी जारी किए जाने वाले हैं. याचिका दाखिल करने वाले संगठन स्वराज अभियान ने कोर्ट को बताया कि सरकार को अपने नियम के मुताबिक मनरेगा के लिए साल भर में 78633 करोड़ रुपये देना चाहिए. इसके तहत 45 हजार करोड़ रुपये तो तत्काल देना चाहिए.
अलग हैं इंटरनल नोट और कोर्ट में केंद्र की बातें
स्वराज अभियान ने कोर्ट में सरकार का एक इंटरनल नोट दिया. इसके मुताबिक कोर्ट में सरकार जो दावा कर रही है, नोट में इसके बिलकुल उलट बातें बता रही है. नोट में लिखा गया
है कि पैसे की कमी की वजह से मनरेगा के लिए काम की मांग कम हो रही है. इंटरनल नोट केंद्र के सभी सचिवों की बैठक का है.
हरियाणा को नया हलफनामा देने कहा
स्वराज अभियान ने हरियाणा के भिवानी जिले की गिरदावरी रिपोर्ट पेश भी की. रिपोर्ट में साफ दिखता है कि क्षेत्र सूखा प्रभावित है, जबकि कोर्ट में हरियाणा कह रहा है कि वहां सूखा नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने हरियाणा सरकार को हलफनामा देने के लिए कहा.
गुजरात की लापरवाही पर कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के हलफनामा में सही आंकड़े नहीं सौंपने पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि आपके हलफनामें में राज्य में रेनफाल के आंकड़े नहीं हैं. मामले को हल्के में नहीं लीजिए. आप जो चाहेंगे वह नहीं कर सकते. गुजरात सरकार ने दो दिनों में फिर से हलफनामा देने का भरोसा दिलाया.
सूखा के दौरान कितनों को 150 दिन काम मिला
केंद्र सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों के कितने परिवारों को मनरेगा के तहत 150 दिनों का काम दिया गया है. इन इलाकों के किसानों को दिए गए कर्जों में बैंकों की तैयारी पर भी कोर्ट ने दिशा निर्देश दिए. केंद्र ने कहा कि ये डाटा भी उपलब्ध कराएं जाएंगे.
सूखे पर केंद्र जारी करे एडवायजरी
कोर्ट ने कहा कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्यों को बताएं कि हमें ये जानकारी मिली है कि उनके राज्य में बारिश कम होगी. उदाहरण के तौर पर कहीं पर अच्छी फसल बोई गई लेकिन केंद्र को पता चलता है कि बारिश कम होगी, वहां सूखे के हालात हो सकते हैं. ऐसे में केंद्र को राज्य को बताना होगा कि हमें सेटेलाइट के माध्यम से जानकारी मिली है कि राज्य में बरसात कम होगी.
केंद्र बताए कि राज्यों में कम होगी बारिश
कोर्ट ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य कह रहा है कि उसके पास सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन केंद्र को पता चलता है कि वहां बरसात कम होगी तो ये बात हरियाणा को बतानी पड़ेगी. कोर्ट ने कहा कि केंद्र को वक्त पर एडवायजरी जारी करनी पड़ेगी और ये अगस्त महीने से शुरु होगी. नवंबर, दिसंबर और जनवरी में भी हालात बताने होंगे. केंद्र सरकार यह कहकर नहीं बच सकती कि सूखा घोषित करना राज्य सरकारों का काम है.