कभी-कभी दो ऐसी बातें एक साथ होती हैं जिनकी आप कल्पना भी नहीं करना चाहते जैसे हाल ही में खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गूगल पर सर्च किए जाने के मामले में सन्नी लियोन से पिछड़ गए, माने हम समझें कि लोगों को अभूतपूर्व पॉलिटिक्स से ज्यादा भूतपूर्व पॉर्न में दिलचस्पी है? अब तो लगता है कि नरेन्द्र मोदी की बजाय सन्नी लियोन टाइम मैगजीन की रीडर्स पोल के लिए उपयुक्त होतीं, पहले तो लोगों को उनमें दिलचस्पी ज्यादा है दूसरी उनकी ‘छवि’ पर ध्यान देकर टाइम वाले अंतिम आठ में न लेने की वजह बताते हुए थोड़ी तो पारदर्शिता रखते.
दूसरा झटका इस खबर से लगा कि यंगिस्तान को ऑस्कर में भेजा जा रहा है. राहुल गांधी की ओवरलोडेड क्यूटनेस से प्रेरित फिल्म का ऑस्कर में जाना शायद कांग्रेस की इस साल की एकमात्र उपलब्धि है, बाद में पता चला यंगिस्तान स्वतंत्र रूप से भेजी जा रही है जबकि भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर लायर्स डाइस को भेजा जा रहा है. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म के साथ जैकी भगनानी की फिल्म का नाम सुन ऐसा लगा जैसे फीफा वर्ल्डकप के फाइनल को छोड़ कोई सितोलिया पर ध्यान लगा रहा हो.
ठीक ऐसा ही उस वक्त लगा जब पेशावर की दिल दहला देने वाली घटना के बाद पाकिस्तान ने दहशतगर्दी के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान कर दिया. अंजाम ये हुआ कि दो दिन बाद ही पाकिस्तानी अदालत से 26/11 के आतंकी को जमानत मिलने की खबर आ गई. दिन डूबते तक दूसरी खबर ये भी आई कि उसे छोड़ा नहीं जाएगा बल्कि किसी और मामले में फिर से जेल में रहना होगा. उस वक्त समझ आया कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान में कामकाज के तरीकों में भी ज्यादा फर्क नही है. उन्हें भी यू-टर्न लेना आता है.
लेकिन इन सबसे भी बड़ा झटका उस वक्त लगा जब आमिर खान की PK रिलीज हुई और ठीक उसी वक्त गुरमीत राम रहीम सिंह इंसान की फिल्म MSG का प्रोमो. विडंबना देखिए PK की कथावस्तु और गुरमीत राम रहीम सिंह का इतिहास, गजब का विरोधाभास पैदा कर रहा है न? गुरमीत राम रहीम फिल्म में रॉकस्टार बने हैं, धर्म गुरु बने हैं, नायक बने हैं, गायक बने हैं, दो-ढाई मिनट में वो सुधारक, क्रांतिकारी,समाजसेवी, रणबांकुरे सब नजर आ रहे हैं. ऐसा लगता है कई कमाल राशिद खान, फरहान अख्तर, हनी सिंह और हिमेश रेशमिया उनमे एक साथ निवास करते हैं. फिल्म का चाहे जो हो लेकिन धर्म और अंधश्रद्धा के बीच अंतर से भी पतली उनकी आवाज कुछ दिन तक कईयों के लिए मसखरी का कच्चा माल साबित होगी.