यौन उत्पीड़न की एक ये आम घटना हो सकती है. लेकिन घटनास्थल इसे खास बना देता है . जी हां, ये खास घटनास्थल संसद परिसर है.
जहां 'सूट-बूट वालों की सरकार' जैसे जुमले ट्रेंडिंग टॉपिक हैं. जहां 'जीजा जी की जमीन' पर तंज कसे जाते हैं. जहां किसानों की जमीन और आत्महत्याओं से हर कोई पल्ला झाड़ते नजर आता है - और तोहमत दूसरों के सिर पर फिट करने में जी जान से जुटा रहता है.
जहां हर डिपार्टमेंट में मदर्स डे पर ट्वीट करने की होड़ मचती है. जहां हर नेता खुद को गरीबों, किसानों, दलितों और तमाम तरह के पीड़ितों का हमदर्द और रखवाला होने का दावा करता फिरता है. जहां से देश भर में स्वच्छता अभियान की नींव रखी जाती है. फिलहाल, सफाई की उन चमकती तस्वीरों के जिक्र का कोई मतलब तो नहीं है, लेकिन वो बरबस याद आ ही जाती हैं.
खैर, परिसर की उन्हीं इमारतों की भीतरी चमक बरकरार रखने की खातिर रोजमर्रा की साफ सफाई में तैनात एक महिला कर्मचारी की दास्तां हैरान करने वाली है.
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