तमाम तरह के सरकारी दस्तावेज पाने में आपकी मदद करने वाले आधार कार्ड ने केरल में रहने वाली 80 साल की मां को 16 साल बाद उसके बेटे से मिलवा दिया.
नेदुम्बसेरी हवाई अड्डे के पास श्रीमूलमग्राम की कल्याणी अपने टूटे, पुराने मकान में अकेली रहती हैं. हालांकि उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी कि 16 साल पहले काम की तलाश में गोवा गया उनकी बेटा वी वी मोहन एक दिन वापस लौट आएगा.
अपने पति और दो बेटों की मौत के बाद कल्याणी अपने भरण-पोषण के लिए पड़ोसियों की मदद पर निर्भर हैं. बढ़ती उम्र, कमजोर दृष्टि सहित तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने आस नहीं छोड़ी थी. वह रोजाना अपने बेटे की वापसी की दुआ करती और कुछ हफ्ते पहले ही बेटे के आधार कार्ड के रूप में ईश्वर ने उनकी दुआओं का जवाब भेजा. चिट्ठी मिलने पर कल्याणी अपने पड़ोसी और श्रीमूलमग्राम के सरपंच के. सी. मार्टिन के पास पहुंची.
मार्टिन बताया कि लिफाफा खोलने के बाद सभी हैरान रह गए. भीतर मोहन का आधार कार्ड था. हालांकि परिवार के पास मोहन की कोई तस्वीर नहीं थी, इसके बावजूद लोगों ने तलाश शुरू की.
13 साल से जेल में बंद था बेटा
सरपंच, रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने मिलकर पणजी के ‘केरल समाज’ से संपर्क किया. वहां से सूचना मिली कि अपने एम्प्लॉयर की हत्या के मामले में मोहन 13 साल से गोवा की जेल में बंद है. पणजी केरल समाज के अध्यक्ष लालू अब्राहम के मुताबिक जांच-पड़ताल के दौरान पता चला कि मोहन को गोवा पहुंचते ही नौकरी मिल गई थी. लेकिन एक दिन अचानक अपने एम्प्लॉयर के साथ कहासुनी के दौरान मोहन ने उसकी हत्या कर दी. इस मामले में गोवा हाई कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी.
अब्राहम केरल के कुछ और लोगों के साथ पिछले शनिवार को मोहन से मिलने सेंट्रल जेल गए थे. उन्होंने कहा, 'पिछले शनिवार हम जेल गए थे, मोहन से मिले और उसकी मां के बारे में उसे बताया.' उन्होंने बताया कि 13 साल से कोई जेल में मोहन से मिलने नहीं गया था. न ही उसने कभी पैरोल मांगा. हालांकि अब मोहन को जल्दी पैरोल दिलाने की कोशिश की जा रही है. (भाषा से इनपुट)