केंद्र सरकार ने पैन कार्ड के लिये आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के फैसले का बचाव करते हुये मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा देश में फर्जी पैन कार्ड के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिये किया गया है. अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ से कहा कि पैन का कार्यक्रम संदिग्ध होने लगा था क्योंकि यह फर्जी भी हो सकता था जबकि आधार पूरी तरह सुरक्षित और मजबूत व्यवस्था है. जबकि आधार पूरी तरह सुरक्षित और मजबूत व्यवस्था है जिसके जरिए एक व्यक्ति की पहचान को फर्जी नहीं बनाया जा सकता था.
रोहतगी ने कहा कि आधार की वजह से सरकार ने गरीबों के लाभ की योजनाओं और पेंशन योजनाओं के लिये 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बचत की है. उन्होंने कहा कि करीब दस लाख पैन कार्ड रद्द किये जा चुके हैं जबकि 113.7 करोड़ आधार कार्ड जारी किये गये हैं. लेकिन सरकार को अभी तक इसके डुप्लीकेट का कोई मामला पता नहीं चला है.
अटार्नी जनरल ने कहा कि आधार कार्ड आतंकी गतिविधियों के लिये धन मुहैया कराने की समस्या और काले धन के चलन पर रोक लगाने का एक प्रभावी तरीका है. इस मामले में बुधवार को भी बहस जारी रहेगी. शीर्ष अदालत आयकर कानून की धारा 139एए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. यह धारा नये बजट और वित्त कानून, 2017 में लागू की गयी है. धारा 139एए में आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आधार कार्ड की संख्या लिखना या आधार आवेदन के कार्ड हेतु पंजीकरण की जानकारी देना अनिवार्य है .
नए प्रावधान के मुताबिक पैन नंबर के आबंटन के आवेदन के साथ आधार का विवरण देना इस साल एक जुलाई से अनिवार्य कर दिया गया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने इससे पहले दलील दी थी कि धारा 139एए असंवैधानिक है और यह आधार कानून के साथ सीधे टकराव में है. उन्होंने यह भी दलील दी थी कि किसी व्यक्ति को आधार के लिये सहमति देने हेतु बाध्य करने का सवाल ही नहीं उठता और यह एक ऐसा मुद्दा है जो लोकतांत्रिक भारत का अपने नागरिकों के साथ रिश्तों को बदलता है.