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इंडिया टुडे: चुनाव में किया था विरोध, अब मोदी की महत्वाकांक्षी योजना बनी आधार

आम चुनाव के समय आधार को निराधार और यूपीए सरकार की राजनितक नौटंकी करार देने वाले नरेंद्र मोदी ने ‘आधार परियोजना’ को गोद ले लिया है. अब मोदी चाहते हैं कि जून 2015 तक देश में सबको आधार कार्ड मिल जाए, लेकिन इस परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट ने जो सवाल खड़े किए थे, वह जस के तस हैं.

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आम चुनाव के समय आधार को निराधार और यूपीए सरकार की राजनितक नौटंकी करार देने वाले नरेंद्र मोदी ने ‘आधार परियोजना’ को गोद ले लिया है. अब मोदी चाहते हैं कि जून 2015 तक देश में सबको आधार कार्ड मिल जाए, लेकिन इस परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट ने जो सवाल खड़े किए थे, वह जस के तस हैं. मोदी सरकार ने उन खामियों को दूर करने की बजाए उसी ढर्रे पर आगे बढ़ा दिया है. मोदी सरकार और बीजेपी की मुश्किल यह है कि वह यूपीए सरकार की योजना को आसानी से अपनाने की बात को कबूल नहीं करना चाहती.

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आधार कार्ड परियोजना अब मोदी की एनडीए सरकार की सभी योजनाओं का केंद्र बनती जा रही है. पिछले पांच महीनों में सरकार सात बड़ी योजनाओं को आधार से जोड़ चुकी है या जोड़ने का फैसला कर चुकी है. इसमें सरकारी कर्मचारियों की हाजिरी, कैदियों को आधार जारी करने का फैसला, पासपोर्ट, सिम कार्ड, प्रोवीडेंट फंड, जीवित रहने का प्रमाण, एलपीजी सब्सिडी के लिए बैंक खातों में सीधे नकद हस्तांतरण (डीबीटीएल), प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खुले बैंक खातों को आधार से जोड़ना और डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट शामिल है.

लेकिन मोदी के आधार में भी क्या है असमंजस
- मोदी सरकार जून, 2015 तक आधार कार्ड जारी कर देना चाहती है, लेकिन इसे अनिवार्य करने के लिए जरूरी कानून नहीं बना है.
- अभी सिर्फ एक्जीक्यूटिव ऑर्डर से आधार योजना चल रही है, जबकि इसकी वैधानिक मान्यता के लिए संसद से बिल पास नहीं हुआ है.
- बायोमैट्रिक डाटा किसके पास रहेगा, इसको लेकर भी स्थिति साफ नहीं है. विपक्ष में रहते बीजेपी इसी पर सुरक्षा के सवाल उठाती रही है.
- नागरिकता को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है. लेकिन आधार से जोडऩे की फेहरिस्त लंबी हो चुकी है. सिम कार्ड को जोड़ने पर अस्पष्ट निर्देश से यूआइडीएआइ खुद ऊहापोह में है.

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विपक्ष में रहते बीजेपी नेताओं ने क्या कहा था आधार पर
- मैंने आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल उठाए, कोई जवाब नहीं मिला. यह राजनैतिक नौटंकी है. - नरेंद्र मोदी, बंगलुरू की चुनावी सभा में 8 अप्रैल को
- संसद की स्थायी समिति ने बिल खारिज कर दिया. आधार निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. - स्मृति ईरानी, अक्टूबर, 2013 को दिया बयान
- हम सत्ता में आए तो यूआइडीएआइ को भंग कर इस योजना को लागू करने वालों पर मुकदमा चलाएंगे. - केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, अप्रैल में चुनाव के समय बेंगलुरू में

अब क्या कह रही है सरकार
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इंडिया टुडे से खास बातचीत में जो खुलासा करते हैं वह बीजेपी की नीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा है. वे कहते हैं, ‘नागरिकता और पहचान अलग-अलग विषय है. विश्व के कई देशों ने इन दोनों चीजों को अलग रखा हुआ है. यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब आधार को विकास के हिताधिकारियों के साथ पिछली सरकार ने अनिवार्य कर दिया. लेकिन हमने कोई पूर्व शर्त नहीं रखी है. हमने पहचान और नागरिकता को अलग रखा है.’

नकद हस्तांतरण के बारे में यू-टर्न पर उनकी दलील है कि जब राजस्थान में 2003 में वसुंधरा राजे की सरकार बनी थी तब भी नकद हस्तांतरण की योजना शुरू हुई थी. इस तरह की व्यवस्था गुजरात में भी कई योजनाओं में पहले से है. वे कहते हैं, ‘बीजेपी डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के पक्ष में है. लेकिन पिछली बार आधार को लेकर कांग्रेस ने जल्दबाजी की थी. आधी-अधूरी तैयारी थी, जिस कारण कोर्ट से भी फटकार सुननी पड़ी और उसी के कार्यकाल में फरवरी, 2014 में उसे बंद करना पड़ा था. अब हमने तय किया है कि जिसके पास आधार नंबर है उसे तो सब्सिडी मिलेगी ही, जिसके पास नहीं है उन्हें भी अपना कोई भी बैंक खाता चिन्हित कर ऐजेंसी को बताना होगा. हाल ही में हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना में 6 करोड़ खाते खोले हैं. जिनके पास दोनों में से कुछ भी नहीं है तो हम खाता खुलवाएंगे, आधार बनवाएंगे. तीन महीने तक उसके बिना भी सुविधा मिलती रहेगी.’

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