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आधार पर क्या थे विवाद, ये 5 सवाल लोगों को कर रहे थे परेशान

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कुल 38 दिन तक सुनवाई चली थी. जिसके बाद जजों की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ बुधवार को फैसला सुनाएगी. 2012 से चल रहे इस केस में सर्वोच्च न्यायालय में लंबी सुनवाई का दौर चलने के बाद अब मौका आ गया है जब कोर्ट आधार की वैधता पर अपना रुख स्पष्ट करेगा.

आधार के डेटा की सुरक्षा और निजता को लेकर इसके निहितार्थ पर देश में बहस जारी है. आधार पूर्णतया सुरक्षित है या असुरक्षित इस बात को लेकर बहस प्रमाणिकता के लिए बायोमेट्रिक का इस्तेमाल और आधार के डेटा लीक होने की सूरत में पड़ने वाले प्रभाव और इसके बेजा इस्तेमाल पर केंद्रित है. आधार के पक्षधर इसके आलोचकों द्वारा आधार की सुरक्षा को लेकर यदा-कदा होने वाले छिटपुट उदाहरणों को नकारते हुए इसके दूरगामी लाभ दलील देते हैं.

इस मामले को समझने के लिए आधार को लेकर इस पूरी बहस के नफा और नुकसान पर नजर डालना जरूरी है.

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पहला सवाल: क्या आधार डेटा सुरक्षित है?

इसे लेकर UIDAI का दावा है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है. 12 डिजिट का आधार नंबर जारी करने वाली संस्था का दावा है कि आपके आधार के बायोमेट्रिक डाटा के लीक होने का अब तक कोई मामला नहीं आया है.

आलोचकों का तर्क है कि डाटा सुरक्षा को लेकर UIDAI का दावा सीमित दायरे में है. उनका मानना है कि किसी भी तरह के सिस्टम में कोर डेटा सुरक्षित रहता ही है लेकिन जब यह डेटा किसी कार्यक्रम के तहत साझा किया जाता है तो व्यक्ति के पहचान संबंधित जानकारियों का गलत इस्तेमाल हो सकता है.  

दूसरा सवाल: आधार नंबर लीक होने के क्या परिणाम होंगे?

जुलाई 2017 में झारखंड सरकार की समाजिक सुरक्षा वेबसाइट पर राज्य के वृद्धावस्था पेंशन योजना के लाभार्थियों का आधार नंबर, नाम, पता और बैंक अकाउंट नंबर साझा किया गया था. जिसपर विवाद खड़ा हो गया. इस विवाद पर UIDAI का कहना था कि आधार नंबर साझा होने पर व्यक्ति की निजता से कोई समझौता नहीं है.

हालांकि आधार एक्ट के अनुसार आधार नंबर सार्वजनिक करना गैरकानूनी माना गया है. आलोचकों की राय है कि आधार नंबर सार्वजनिक होने की सूरत में व्यक्ति की पहचान का अन्यथा इस्तेमाल हो सकता है क्योंकि यह नंबर दोबारा बदला नहीं जा सकता. फरवरी में अहमदाबाद में एक मामले में पुलिस ने पाया कि 32 वर्षीय तरुण सुरेजा नाम के व्यक्ति ने एक मृतक के आधार नंबर का गलत इस्तेमाल कर एक फाइनेंस कंपनी को डेढ़ लाख की चपत लगाई. वहीं मार्च में बॉलिवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के फर्जी आधार के जरिए मुंबई में एक होटल का कमरा भी बुक किया गया था.

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तीसरा सवाल: क्या प्रमाणिकता के लिए बायोमेट्रिक का इस्तेमाल होना चाहिए?

UIDAI का तर्क है कि बायोमेट्रिक्स, पासवर्ड जैसी प्रणाली से ज्यादा सुरक्षित है. UIDAI ऐसा नहीं मानती कि बायोमेट्रिक प्रमाणिकता कोई समस्या है.

आलोचकों की राय है कि ऐसी तकनीकी मौजूद है जिसमें किसी वस्तु से व्यक्ति के फिंगरप्रिंट और सोशल मीडिया पर साझा किए गए फोटो के माध्यम से धोखाधड़ी कर सकते हैं. साल 2014 में हैकर्स ने जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला वॉन डेर लेयान के सोशल मीडिया पर साझा किए गए हाई रिजोल्यूशन फोटो से फर्जी फिंगरप्रिंट बना लिया था. आलोचकों का दूसरा तर्क यह है कि इस तरह के फर्जीवाड़े के बाद आप अपना बायोमेट्रिक्स तो बदल नहीं सकते.

इस तरह के धोखाधड़ी का मामला जुलाई में हैदराबाद में सामने आया था जब एक सिमकार्ड ऑपरेटर ने आधार पर आधारित ई-केवाईसी के माध्यम से  6000 सिमकार्ड एक्टिवेट कर दिए थें.   

चौथा सवाल: आधार सुरक्षा को लेकर बढ़ती घटनाएं

फरवरी 2017 में UIDAI ने एक्सिस बैंक, सुविधा इंफोसर्व और एक अन्य कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था जब एक व्यक्ति ने कुल जुलाई 2016 से फरवरी 2017 के बीच बायोमेट्रिक के माध्यम से 397 अनअधिकृत लेन-देन की.

इसी तरह अगस्त 2017 में एक डेवेलपर ने ई-हॉस्पिटल एप से फर्जीवाड़े के जरिए हजारों लोगों के आधार नंबर और निजी जानकारी एकत्रित कर ली थीं.

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जनवरी में अंग्रेजी अखबार ट्रिब्यून के खुलासे में दावा किया गया था कि करोड़ों लोगों के आधार नंबर मात्रा 500 रुपये में मौजूद सॉफ्टवेयर के जरिए हासिल किया जा सकता है.

इसी महीने अंग्रेजी अखबार हिफिंगटन पोस्ट ने एक सॉफ्टवेयर के जरिए आधार पंजीकरण के सिक्योरिटी फीचर डिसेबल हो जाने का दावा किया था. हालांकि इस मामले में UIDAI ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आधार संबंधी जानकारियां एंड-टू-एंड इनक्रिप्टेड होने के साथ 24x7 सिक्योरिटी और फ्रॉड मैनेजमेंट सिस्टम की निगरानी में रहती हैं.

पांचवां सवाल: आधार को लेकर यह खामियां कितनी गंभीर हैं?

विशेषज्ञों की राय है कि आधार डेटा लीक सुरक्षा का मुद्दा है या नहीं यह सेक्योरिटी ऑडिट के माध्यम से ही तय हो सकता है. लेकिन ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक नहीं हैं. UIDAI के सीईओ ने कहा था कि सुरक्षा के कारणों से नाम साझा नहीं किया जा सकता.

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