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बर्फ के रेगिस्तान में तैयार होते हैं ये जांबाज कमांडो

चीन से लगती सरहद पर हर वक्त बाज जैसी पैनी नजर रखने के लिए ये जवान हर वक्त मुस्तैद रहते हैं. लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक बर्फ से ढके ऐसे कई क्षेत्र है जहां इंसानी हलचल के नाम पर सिर्फ इन हिमवीरों के कदमों की चाप ही सुनी जा सकती है.

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कड़ाके की ठंड में भी पसीना बहा रहे जवान
कड़ाके की ठंड में भी पसीना बहा रहे जवान

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पहाड़ों पर बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई है. इस बर्फीले रेगिस्तान में भी देश के जांबाज पसीना बहा रहे हैं. ऑली स्थित माउंटेनियरिंग एन्ड स्कीइंग इस्टीट्यूट में इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के वो कमांडो तैयार किए जाते हैं जिनका नाम सुनकर ही देश के दुश्मन थर्र-थर्र कांपने लगते हैं. 'आज तक' ने ITBP के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में पहुंच कर देखा कि किस तरह तमाम मुश्किल हालात भी जवानों के बुलंद हौसलों के आगे पानी भरते नजर आते हैं.

खास कमांडो तैयार करने के लिए इस ट्रेनिंग मिशन को ऐसे क्षेत्र में अंजाम दिया जा रहा है, जहां पीने के लिए पानी मिलना मुहाल है. सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता न के बराबर है. माइनस 40 डिग्री के के तापमान में भी जब ये कमांडो ऑपरेशन करते हैं . बर्फ के घरों मे रहते हुए देश के ये सपूत साल के 365 दिन सरहद पर कोई आंच नहीं आने देते.

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चीन से लगती सरहद पर हर वक्त बाज जैसी पैनी नजर रखने के लिए ये जवान हर वक्त मुस्तैद रहते हैं. लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक बर्फ से ढके ऐसे कई क्षेत्र है जहां इंसानी हलचल के नाम पर सिर्फ इन हिमवीरों के कदमों की चाप ही सुनी जा सकती है.

ट्रेनिंग मिशन के तहत ही ITBP के 108 जवानों को स्कीइंग में महारत सिखाई जा रही है. बर्फ के बीच तेजी से मूवमेंट के लिए स्कीइंग का सहारा लिया जाता है.

हिमालय से ऊंचा जवानों का जज्बा
ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हाइपोक्सिया जैसी बीमारी का खतरा रहता है. इसके अलावा यहां हाई एल्टीट्यूड एडीमा जैसी बीमारी का भी सामना करना पड़ता है जिसमें फेफड़ों में पानी भर जाता है और शरीर के अंग सुन्न हो जाते हैं . यहां जवानों को पानी पीना हो तो बर्फ पिघलाकर खास तरह की गोली मिलानी होती है. इन सब चुनौतियों के बावजूद जवानों का जज्बा हिमालय की तरह ही ऊंचा रहता है.

बर्फ पर कमांडो ऑपरेशन
ट्रेनिंग के दौरान कमांडो को बताया जाता है कि कुछ संदिग्ध लोगों ने डंपिंग ग्राउंड में विस्फोटक छुपा दिया है. उसे निष्क्रिय करने के लिए जब बर्फ की चादर से आग का गोला निकलता है तो वो देखना अपने आप में ही अद्भुत अनुभव है.

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हवा में उड़ते दिखते हैं कमांडो!
2017 की गणतंत्र दिवस परेड में इस साल इन जवानों को बेशक अपना कौशल दिखाने का मौका ना मिला हो, लेकिन जब ये बर्फीले इलाकों में पैरों में स्की रनर बांध लेते हैं तो हवा में ऐसे उड़ते दिखते हैं जैसे इनके पंख लग गए हों.

जवानों के गीतों से गुलजार बर्फीला रेगिस्तान
ट्रेनिंग और ड्यूटी से कुछ फुर्सत के पल मिलते हैं तो इन जवानों के लबों से देशभक्ति के तराने फूट पड़ते हैं. जब जवान 'ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का' जैसे गीत गाते हैं तो उनका जोश देखते ही बनता है. जवानों को जब घरवालों की की याद आती है तो उनसे बात कराने के लिए दूरसंचार की यहां अच्छी व्यवस्था है.

ट्रेनिंग में किन-किन चरणों से गुजरते हैं हिमवीर

- पर्वतारोहण की ट्रेनिंग

- एडवेंचर स्पोर्ट्स

- हाई एल्टीट्यूड में सर्वाइवल की ट्रेनिंग

- माउंटेन वॉरफेयर

- जंगल वॉरफेयर

- स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइम्बिंग

- रॉक क्राफ्ट, आइस क्राफ्ट और ग्लेशियर ट्रेनिंग

- हाई एल्टीट्यूड में रेस्क्यू ऑपरेशन

ट्रेनिंग के खास पहलू जवानों को पहले बेसिक स्किल्स, शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है. फिर पहाड़ों में रहने का अभ्यस्त होना सिखाने के साथ हाई एल्टीट्यूड में मनोबल बनाए रखना भी अहम होता है. टीम के तौर पर काम करना ट्रेनिंग का खास हिस्सा होता है . साथ ही जवानों को गुरिल्ला वॉरफेयर में भी पारंगत किया जाता है.

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ITBP की गौरव गाथा के अहम बिंदु

- माउंटेन वॉरफेयर में दक्ष

- एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए विश्व विख्यात

- पर्वतारोहण में विश्व विख्यात- 205 से अधिक सफल अभियान, 4 बार माउंट एवेरेस्ट पर आरोहण

- हिमालय पर 9000 से 18700 फीट की ऊंचाई पर 1962 से लगातार तैनात

- पहली बार महिलाओं को हाई एल्टीट्यूड सीमा पर निगरानी के लिए तैनात किया

- अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास पर फिदायीन हमले नाकाम किए

- बर्फीली सरहद पर तैनाती के कारण आइटीबीपी के जवानों को हिमवीर कहा जाता है

-ITBP का K9 डॉग स्क्वॉयड गणतंत्र दिवस और विशेष अवसरों पर सुरक्षा के लिए विख्यात

- छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए बल की आठ बटालियन तैनात

- संयुक्त राष्ट्र मिशनों में ITBP की महत्वपूर्ण भूमिका रही है

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