पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद से ही राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा राजनीति के केंद्र में आ गया है. पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में जो पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा था, उसका असर भारत की जवाबी कार्रवाई में दिखा. एयरस्ट्राइक के बाद भारत का रुख पाकिस्तान के खिलाफ कैसा होना चाहिए, इसका लोकसभा चुनावों में क्या असर पड़ेगा इन सभी बातों पर चर्चा करने के लिए आजतक ने आज विशेष ‘सुरक्षा सभा’का आयोजन किया है.
'कितने सुरक्षित हैं हम' विषय पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में पक्ष और विपक्ष नहीं होता. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. आतंक के खिलाफ पूरा देश, पक्ष और विपक्ष दोनों एक साथ खड़े हैं. आतंकवादी चाहते हैं कि हमारे बीच फूट पड़े, हम लड़ें ताकि उसे फायदा हो. अफसोस की बात है सरकार और सरकार से ज्यादा मीडिया जनता में फूट फैलाने की कोशिश करती है, जबकि हमारे बीच एकता की जरूरत है. जो फूट डाल रहा है, देश में वह देशद्रोही है और जो देश में एकता चाहता है, वह देशभक्त है.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते हुए येचुरी ने कहा कि आतंकवाद और सुरक्षा की बात आज एजेंडे पर क्यों आ रही है? बालाकोट के बाद क्यों आ रही है? आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद को हमेशा से गंभीर मुद्दा है. राष्ट्र की सुरक्षा हमेशा मुद्दा है, सिर्फ चुनाव के लिए नहीं है.
2009 से 2014 के 5 सालों से इन 5 सालों की तुलना करें तो इन 5 सालों में 626 आतंकी हमले हुए जबकि उसके पहले 5 सालों में कम थे. उन 5 सालों में 139 जवान शहीद हुए जबकि इन 5 सालों में 483 जवान शहीद हुए. सीजफायर की घटनाएं जो पहले के 5 सालों में 563 साल हुए, इन 5 सालों में 5000 से ज्यादा सीजफायर का उल्लंघन हुआ है.
राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला पुलवामा और बालाकोट के बाद ही मुद्दा क्यों? उसके बाद हमारे इतने सैनिक शहीद हुए, कितने आतंकी हमले हुए, जम्मू के अंदर आतंकी हमले हुए. हमारी क्या सतर्कता है? सवाल ये होना चाहिए कि हम लोग सुरक्षित हैं कि नहीं?
इंटेलिजेंस की नाकामी की बात पर बोले येचुरी
पुलवामा हमले में इंटेलिजेंस की नाकामी की बात पर येचुरी ने कहा कि पुलवामा हमले के पहले इंटेलिजेंस नाकामी थी जिसका मुद्दा सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने उठाया और यह सवाल वाजिब है. सेना के अलावा सुरक्षा की बात हो तो ये भी हो कि हमारा अन्नदाता सुरक्षित है कि नहीं? हमारा बेरोजगार लाचार होकर घूम रहा है, क्या वह सुरक्षित है? सुरक्षा के सभी मामलों को एक बालाकोट तक अगर आप सीमित कर देंगे और उसके आधार पर चुनाव लड़ने की बात आप कर रहे हैं तो ये सबसे बड़ा देश के साथ अन्याय है.
एयर स्ट्राइक के राजनीतिकरण पर येचुरी बोले कि बीजेपी अध्यक्ष ने एयर स्ट्राइक पर राजनीतिकरण शुरू किया और कहा कि ये कांग्रेस की सरकार नहीं है और बीजेपी कड़ी कार्रवाई करेगी. हमने तो कहा कि हम सरकार के हर कदम में आतंकवाद के खिलाफ साथ हैं. हमने एयरफोर्स की तारीफ की उसके अगले दिन अमित शाह की ओर से राजनीतिक बयान आया. सवाल यह नहीं है कि इसका राजनीतिकरण किया, लेकिन इसका फायदा उन्हीं आतंकवादियों को होगा जो हमारे बीच फूट डालना चाहता है.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि 200 मारे, राजनाथ सिंह ने कहा वहां 300 मोबाइल थे जो हमले के बाद बंद हो गए. एक कैबिनेट मंत्री ने कहा कि 400 मारे, लेकिन वहीं एक दूसरे कैबिनेट मंत्री ने कहा कि वहां हमारा मकसद मारना नहीं था बल्कि अपनी क्षमता दिखाना था. एयरफोर्स चीफ ने सभी सवालों का जवाब दिया और जिसको पूरे देश ने सलाम किया. उन्होंने कहा कि मेरा काम था टारगेट को निशाना बनाना और उसको निशाना बनाया गया. उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बहादुरी से निभाया.
चुनाव में फायदा मिलने के लालच से देश की सुरक्षा के साथ समझौता
राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात करते हुए येचुरी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का यह मसला हमेशा जिंदा है. सबको मिलकर उसके खिलाफ लड़ना है. ये देश भक्त है, वो देश विरोधी है. ये सब बोलकर आप आतंकवादियों के जाल में फंस रहे हो. एक चुनाव में फायदा मिलने के लालच से आप देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रहे हैं. Defence committee के प्रमुख मुरली मनोहर जोशी की रिपोर्ट कहती है कि डिफेंस में निवेश 1962 के बाद अब तक सबसे कम है. हमारी सुरक्षा की तैयारियां इतनी कमजोर हैं तो क्या उस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए.
तू-तू, मैं-मैं से चुनाव में वोट मिल जाएंगे लेकिन क्या उसके लिए देश को गिरवी रख दोगे? सुरक्षा की बात आप कर रहे हैं तो देश की आवाम को सुरक्षा दो. भुखमरी को मिटाओ, अन्नदाता को सुरक्षा दो, अन्नदाता को आत्महत्या करने से बचाओ, नौजवानों को नौकरियां दो.
येचुरी ने आगे कहा कि कोई यह सवाल क्यों नहीं पूछते कि जब अज़हर मसूद आपकी हिरासत में था तो वह छूटा कैसे? कौन उसे छोड़ कर के आया था? अमृतसर में उस प्लेन को उड़ने की इजाजत क्यों मिली है? प्लेन कांधार कैसे गया?
दुनिया सवाल पूछ रही है तो उन्हें सबूत दिखाइये
मसूद अजहर पर अपना स्टैंड क्लियर करते हुए येचुरी ने कहा कि मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कीजिए. सवाल ये है कि कार्यवाही क्या होगी? अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन सवाल पूछ रहा है कि आप सबूत दीजिए. हमें सेना पर भरोसा है लेकिन दुनिया सवाल पूछ रही है तो उन्हें सबूत दिखाइये.
कश्मीर में विधानसभा चुनाव न होने पर येचुरी ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के लिए सुरक्षा व्यवस्था ठीक है तो विधानसभा चुनाव के लिए क्यों नहीं? कश्मीर में अगर राजनीतिक प्रक्रिया की बात हो रही है तो सबसे पहले आप जनतंत्र का हिस्सा बनें.
कश्मीर के मामले में एक रोडमैप तैयार हुआ था जब राजनाथ सिंह के नेतृत्व में ऑल पार्टी डेलिगेशन 3 साल पहले कश्मीर गई थी और आने के बाद एक लिखित बयान जारी किया गया था जिसके तहत कहा गया था कि कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर तैयार हो, और सभी स्टेक होल्डर के साथ बातचीत करें. यह रास्ता देश के सामने रखा गया था लेकिन अगर आप चाहते हैं तो उसे लागू भी करें.
लोगों को अलगाववादियों से अलग करो, यह सबसे बड़ी प्रक्रिया है. कश्मीर की समस्या का समाधान करने के लिए एक कदम यही है लोगों को अलगाववादियों से अलग करो जीत कर. इस मामले मैं खुद अलगाववादी हूं और मैं चाहता हूं कि लोगों को अलगाववादियों से अलग किया जाए.
एक तरफ मोदी खड़े हैं दूसरी तरफ सब लोग, ये मीडिया का प्रोपेगंडा है
महागठबंधन पर बोलते हुए येचुरी ने कहा कि एक तरफ मोदी खड़े हैं दूसरी तरफ सब लोग, ये मीडिया का प्रोपेगंडा है. हिंदुस्तान में चुनाव के पहले कोई महागठबंधन नहीं हुआ. 1996, 1998 और 2004 में महागठबंधन हुआ पर इसी तरह 2019 चुनाव के बाद महागठबंधन होगा.
अगर मोदी कहते हैं कि यह महागठबंधन महा मिलावट है तो फिर हमारा देश ही एक मिलावट है जहां बंगाल से लेकर राजस्थान में, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हम सब मिल जुल कर रहते हैं. भारत का मतलब ही मिलावट है. हम सब मिल जुल कर रहते हैं. आप उसको मिटाना चाहते हैं जो देश के खिलाफ है.
15 साल पहले जब यही सवाल था जब कहा कि वाजपेयी का विकल्प क्या होगा? हमने कहा था कि विकल्प देश की जनता से आएगा और वह विकल्प जनता के बीच से आया जिसके बाद लगातार 10 साल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश में स्थिरता रही. चुनावी आधार पर लेफ्ट में गिरावट हुई है लेकिन लोगों के मुद्दे को सामने लाने का एजेंडा लेफ्ट तय कर रहा है.