'आज तक' ने बुधवार को मध्य प्रदेश में प्याज की मंडी में कालाबाजारी को लेकर स्टिंग ऑपरेशन दिखाया था. इस ऑपरेशन का बड़ा असर हुआ है. खाद्य आपूर्ति के जनरल मैनेजर (जीएम) श्रीकांत सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है.
शिवराज सरकार ने हरकत में आते हुए कैमरे में कैद दलालों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री के सचिवालय ने एमपी नगर पुलिस स्टेशन को आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. इससे पहले शिवराज सरकार ने राज्य के नागरिक आपूर्ति के जीएम को निलंबित कर दिया था.
आज तक के कैमरे ने मध्य प्रदेश में किसानों के नाम पर हो रहे घोटाले को कैद किया. सरकार ने किसानों से आठ रुपये में प्याज खऱीदा. उस प्याज को बेचने के लिए नीलामी तय हुई लेकिन अफसरों ने कमीशन खाकर खेल कर दिया. आठ रुपये का प्याज दो रुपये में बिक गया और दो रुपये में बिका हुआ ब्याज फिर से आठ रुपये वसूलने के लिए पहुंच गया.
राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग के जनरल मैनेजर मंडी के दलालों के सबसे बड़े सरदार निकले. वो आज तक के खुफिया कैमरे पर कमीशन खाकर आठ रुपये वाला प्याज सवा दो रुपये में दिलाने की गारंटी दे रहे हैं. इस तरीके से उन्होंने सरकार को करोड़ों का चूना लगाया और दलालों ने जमकर कमाया.
उपज किसान की और खरीदा सरकार ने और करोड़ों लूट ले गए दलाल. वो भी सरकार की मेहरबानी से. मजे की बात ये कि सबकुछ पारदर्शी तरीके से हुआ. आरपार की शुद्धता के साथ. पूरी सावधानी बरती गई कि पोल न खुले. लेकिन आज तक ने जब मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज की खरीद के नाम पर नीयत की नीलामी देखी तो सराकरी खजाने की लूट की परतें इसी प्याज के छिलके की तरह उतरती चली गईं.
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने शहर के पर्यावास भवन में स्थित राज्य नागरिक आपूर्ति विभाग (MPSCSC) के मुख्यालय का रुख किया. यहां महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी ने मोटी घूस के बदले ट्रेन भर प्याज औने-पौने दाम में बेचने के लिए हामी भरी. सोनी कैमरे पर ये कहते हुए कैद हुआ- 'नीलामी को मैनेज कर लिया जाएगा. ये मैं कह रहा हूं कि मैं इसे शाजापुर, माकसी, और शुजालपुर (मंडियों) में मैनेज कर लूंगा.'
सोनी ने गारंटी दी कि अंतिम बोली 2 रुपये प्रति किलो के आधार मूल से 10 पैसे से ज्यादा हर्गिज नहीं होगी. सोनी ने कहा, 'मैं इसे 2.10 रुपये पर फिक्स कर दूंगा. देखते हैं कि ये कितनी आसानी से 2.10 रुपये पर मैनेज हो जाएगा.' सोनी ने सब कुछ मैनेज करने यानी नीलामी को मनमुताबिक शक्ल देने के लिए पहले 3 लाख से 4 लाख रुपये तक की मांग की. फिर उसने स्थानीय अधिकारियों को 'फिक्स' करने के नाम पर एक लाख रुपये और की मांग की. ये पूरा गोरखधंधा बहुत सुनियोजित ढंग से चलता दिखा. इसके लिए विभिन्न मंडियों में फर्जी बोली लगाने वाले लोग भी खड़े किए जाते हैं. इन्हें पहले से ही समझा दिया जाता है कि पूर्व निर्धारित की गई कीमत से अधिक बोली नहीं लगाएं. ऐसा भी किया जाता है कि सारे उत्पाद को ही खराब कह कर खारिज कर दिया जाए जिससे प्रतिस्पर्धात्मक बिक्री का मकसद ही नाकाम हो जाए.