अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर छिड़े सियासी संग्राम के बीच राजनीतिक विश्लेषक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि आज हम हिंदू-मुस्लिम लड़ रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि देश के विभाजन के लिए जिन्ना से ज्यादा अंग्रेज दोषी हैं.
आजतक की ओर से आयोजित पंचायत 'जिन्ना एक विलेन पर जंग क्यों' के पांचवें सत्र 'हिंदुस्तान में किसको चाहिए जिन्ना' पर बहस के दौरान कुलकर्णी ने कहा कि हमारी सभी की राय इस बात पर एक है कि भारत का विभाजन नहीं होना चाहिए था और खून-खराबा नहीं होना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ.
उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के लिए जिन्ना से ज्यादा अंग्रेज दोषी हैं. अंग्रेजों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाई थी. उन्होंने कहा कि आजादी तो जून 1948 में मिलने वाली थी, लेकिन वायसराय माउंटबेटन ने इसको अगस्त 1987 तक ही खींचा, जिसके कारण डर का माहौल पैदा हुआ. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जब साल 1979 में माउंटबेटन की मौत हुई, तो भारत सरकार ने सात दिन का शोक घोषित किया था और राष्ट्र ध्वज आधा झुकाया था. जबकि हकीकत यह है कि जिन्ना से ज्यादा ये अंग्रेज दोषी हैं, लेकिन आज हम हिंदू-मुसलमान में लड़ रहे हैं.
लेखक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि साल 2005 में लालकृष्ण आडवाणी के साथ मैं भी पाकिस्तान गया था. तब जिन्ना की मजार पर आडवाणी ने कहा कि साल 1930 तक हिंदू-मुसलिम एकता के जिन्ना हिमायती थे. दूसरी बात आडवाणी ने यह कही कि 11 अगस्त 1947 को जिन्ना ने पाकिस्तान की संविधान समिति में अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान मजहबी मुल्क नहीं होगा. इस्लामी मुल्क नहीं होगा. यहां हिन्दू-मुसलमान सब मिलकर बराबर रहेंगे.
कुलकर्णी ने कहा, ''आडवाणी ने यह भी कहा था कि यह सेक्युलरिज्म का एक मॉडल है, तो उस समय आडवाणी ने सच्चाई ही बताई थी. जिन्ना ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के संबंध अमेरिका और कनाडा जैसे होने चाहिए. जिन्ना ने अपने पहले हाई कमिश्नर श्रीप्रकाशा से कहा कि जाकर जवाहर लाल नेहरू को कहिए कि मैं मुंबई वापस आकर रहना चाहता हूं. मैंने वहां जो घर बनवाया है, वहां रहना है.''