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आज तक का ऑपरेशन दुर्गा पार्ट-4, 'दीवार गिरने से नहीं था सांप्रदायिक तनाव'

आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर एक और पड़ताल के साथ आज तक ने अखिलेश सरकार के एक और झूठ का पर्दाफाश किया है. उस झूठ का जिसे दुर्गा के निलंबन का आधार बनाया गया. जी हां, मस्जिद दीवार गिरने से सांप्रदायिक तनाव पैदा होने की बात. आज तक की टीम सच की पड़ताल के लिए कादलपुर गांव गई थी. आज तक के खुफिया कैमरे ने जो कुछ देखा, वो अखिलेश सरकार के दावे की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है.

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आज तक का ऑपरेशन दुर्गा
आज तक का ऑपरेशन दुर्गा

आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर एक और पड़ताल के साथ आज तक ने अखिलेश सरकार के एक और झूठ का पर्दाफाश किया है. उस झूठ का जिसे दुर्गा के निलंबन का आधार बनाया गया. जी हां, मस्जिद दीवार गिरने से सांप्रदायिक तनाव पैदा होने की बात. आज तक की टीम सच की पड़ताल के लिए कादलपुर गांव गई थी. आज तक के खुफिया कैमरे ने जो कुछ देखा, वो अखिलेश सरकार के दावे की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है.

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कादलपुर गांव जहां मस्जिद की चारदीवारी की जब एक दीवार गिरी तो गांव शांत था लेकिन अखिलेश यादव की सरकार भड़क उठी. आज तक ने खूफिया कैमरे पर उन गांव वालों के दिल की बात जानने की कोशिश की जो मस्जिद की दीवार बनाने के लिये चंदा इकट्ठा कर रहे थे.

आज तक ने जब बार-बार ये पूछने की कोशिश की कि क्या दीवार गिराये जाने के बाद वहां दंगा भड़कने जैसी कोई स्थिति थी तो उस गांव के रहने वाले इदरीश के साथी कसम खाकर यकीन दिलाने लगे कि तनाव जैसी कोई बात ही नहीं. गांव वाले भले ही दीवार गिरने पर नाराज हों लेकिन अखिलेश सरकार के दंगा भड़कने की आशंका वाले बयान से कतई सहमत नहीं हैं.

सच तो ये है कि लखनऊ में बैठी सरकार जिन रिपोर्टों के आधार पर दुर्गा शक्ति पर ये आरोप मढ़ रही है कि उनकी कार्रवाई ने गांव में सांप्रदायिक तनाव खड़ा कर दिया उन्हीं रिपोर्टों को अब थाना, डीएम और खुद गांव के लोग झुठला रहे हैं. सच तो ये है कि गांव वालों ने ग्राम सभा की जमीन पर गैरकानूनी तरीके से चार-दीवारी बनाई थी और इस गलती को अब वो मान भी रहे हैं.

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गांव वालों का मानना था कि इस पूरे मामले को सियासी रंग दिया जा रहा है जबकि हकीकत ये है कि मस्जिद के लिए हिंदुओं ने भी चंदा दिया था.

हालांकि गांव में अमन चैन को अनदेखा कर मुलायम सिंह यादव के खासमखास यानी नरेंद्र भाटी गांव वालों को दुर्गा शक्ति के खिलाफ भड़काने की कोशिश में लगे हैं लेकिन भाटी साहब यहां भी देर कर गये क्योंकि देश अब गांव में हो रही सियासत का सच जान चुका है.

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