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ओपिनियन: कुछ तो कॉमन है चिटफंड कंपनी और आम आदमी पार्टी में

जब केजरीवाल राजनीति में समझौते की बात करते हैं. साथियों को कमीना कहते हैं. पार्टी की बैठक में मारपीट. इससे उन देशवासियों का भ्रम टूटता नजर आता है जिन्होंने एक अच्छे रिटर्न की उम्मीद के साथ आम आदमी पार्टी में अपने समर्थन का निवेश किया था. क्या ये कोई चिटफंड घोटाला है?

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केजरीवाल
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'इंसान का इंसान से हो भाईचारा...' मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब अरविंद केजरीवाल ने गीत गाया तो उपस्थित जनसमुदाय भी भावुक हो गया. ऐसा लग रहा था मानो गांधीजी खुद 'वैष्णव जन...' गा रहे हों. अब जब वे राजनीति में समझौते की बात करते हैं. साथियों को कमीना कहते हैं. पार्टी की बैठक में मारपीट होती है. ऐसे में उन देशवासियों का भ्रम टूटता नजर आता है जिन्होंने एक अच्छे रिटर्न की उम्मीद के साथ आम आदमी पार्टी में अपने समर्थन का निवेश किया था. क्या ये कोई चिटफंड घोटाला है?

1. लुभावने सपने-
चिटफंड कंपनी: कहा जाता है कि पैसा जमा कराइए, 12 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा, या चार साल में डबल कर देंगे. जब चाहेंगे पैसा वापस ले सकेंगे.
आम आदमी पार्टी: कहा गया था, स्वराज लाएंगे. आंतरिक लोकपाल होगा. पार्टी में RTI लागू होगा. हर बात पार्टी कार्यकर्ताओं और वोटरों से पूछकर की जाएगी.

2. जरूरतमंद लोग-
चिटफंड कंपनी: निशाने पर वे लोग होते हैं, जो कम पढ़े-लिखे हैं. मध्यम या गरीब परिवार वाले. जिन्हें अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की सख्त जरूरत है. या वे लोग, जो रातों-रात सबकुछ बदल जाने का सपना देखते हैं. शॉर्टकट से.
आम आदमी पार्टी: सरकारी भ्रष्टाचार, लालफीताशाही से परेशान लोग. या वे जिन्हें हमेशा उस मसीहा का इंतजार रहता है जो आते ही देश बदल देगा. जिसके आने से चारों ओर तरक्की और खुशहाली आ जाएगी.

3. झांसे में फंसाना-
चिटफंड कंपनी- आरबीआई के कुछ सर्टिफिकेट भी दिखाए जाते हैं कि कंपनी पूरी तरह मान्यता प्राप्त है. बड़े-बड़े लोगों के नाम गिनाए जाते हैं कि ये भी हैं कंपनी के बोर्ड में. कई शहरों में ऑफिस होने की जानकारी दी जाती है. और आखिर में कहा जाता है कि पैसा लगाइए, यह पूरी तरह सुरक्षित है. गारंटी के साथ रिटर्न मिलेगा.
आम आदमी पार्टी- एक आदर्श पार्टी. पूरी तरह पारदर्शी. रिलायंस, अडानी जैसे कारोबारियों से कोई रिश्ता नहीं. एक-एक पैसे का खुला हिसाब. जज्बे से भरे नेता. असली स्वराज लाने का दम है जिनके पास. पूरी तरह ईमानदार. सुसंस्कारित. स्वार्थ से परे. सिर्फ जनता के प्रति समर्पित. आइए, जुडि़ए और देश में होने वाले बदलाव का हिस्सा बनिए.

4. फिर धोखा-
चिटफंड कंपनी- ठीकठाक पैसा जमा होते ही पहले कंपनी के कर्मचारियों की संख्या कम की जाती है. ग्राहकों को टालने वाले जवाब दिए जाते हैं. और अचानक से एक दिन दफ्तर के बाहर ताला डाल दिया जाता है.  
आम आदमी पार्टी- केजरीवाल का ही एक ऑडियो टेप है, जिसमें वे कह रहे हैं कि राजनीति में समझौते करने पड़ते हैं. तो वे कोई लाचार नजर नहीं आ रहे हैं. बल्कि षड्यंत्रकारी दिख रहे हैं. जो पहले लोगों को देश की राजनीतिक दशा बदले का सब्जबाग दिखाते हैं. खुद को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए. लेकिन भ्रष्टारमुक्त पार्टी और पारदर्शिता को पीछे छोड़कर वे तानाशाह की तरह सामने आते हैं. मानो आप समर्थकों की उम्मीदों वाली पार्टी के दफ्तर पर ताला लगाने जा रहे हैं. और कह रहे हैं कि ये तो मेरी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है. देश के कोने से जो लोग अपनी आकांक्षाओं की जमापूंजी इस पार्टी में लगा बैठे थे, ठगे हुए से उन्हें देख रहे हैं.

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