फिल्म अभिनेता-निर्माता आमिर खान एक बार फिर विवादों में हैं. अपनी फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' की शूटिंग के लिए टर्की गए आमिर ने वहां के राष्ट्रपति रजप तैयप एर्दवान की पत्नी इमीने एर्दवान से मुलाकात की तो विश्व हिंदू परिषद से लेकर बीजेपी नेता तक भड़क गए. आरोप है कि 'भारत-विरोधी तत्वों' से आमिर का प्रेम बढ़ रहा है. वैसे ये पहली बार नहीं है कि आमिर बीजेपी-वीएचपी के निशाने पर आए हों. 36 का ये आंकड़ा तकरीबन 18 साल पुराना है.
आमिर ने 2002 में हुए गुजरात दंगों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि एक मुख्यमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी स्थिति को काबू में नहीं कर पाए और सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी. 15 अप्रैल 2006 को नर्मदा नदी पर बन रहे सरदार सरोवर बांध के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रर्दशन किया था, जिसका आमिर खान ने समर्थन किया था.
साल 2006 में आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती रिलीज होने वाली थी और वे अपनी पूरी टीम के साथ मेधा के समर्थन में जंतर-मंतर पहुंचे थे. आमिर की नर्मदा बचाओ आंदोलन में सक्रियता देखकर कई लोग हैरान हुए थे. आमिर का मेधा के समर्थन में उतरना गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार को नागवार गुजरा था, क्योंकि ये मोदी का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था. 2006 में आमिर खान की फिल्म फना को गुजरात में सिनेमा हॉल में रिलीज की अनुमति नहीं दी गई.
आमिर खान और पीएम मोदी
हालांकि, बाद में आमिर खान ने साफ किया था कि वे नर्मदा बांध के कंस्ट्रक्शन के विरोध में नहीं हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि जिन लोगों को इस बांध के बनने के चलते अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है, उनकी रिहायश के लिए सरकार जरूरी इंतजाम करे. उन्होंने ये भी कहा था कि वे किसी से माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि उन्हें अपनी बात रखने का हक है.
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आमिर खान से रिश्ते में बदलाव देखने को मिला. साल 2014 में मोदी के पीएम बनने के एक महीने के भीतर आमिर खान ने उनसे मुलाकात की थी और इस मुलाकात की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया. हालांकि, साल 2015 में देश में असहिष्णुता से जुड़ी घटनाओं पर आमिर खान के द्वारा दिए गए बयान से फिर वो बीजेपी के निशाने पर आ गए थे. आमिर ने कहा था, देश के फिलहाल जैसे हालात हैं, मेरी पत्नी के मुताबिक वे बहुत सेफ फील नहीं कर रही हैं.
आमिर खान ने नवंबर 2015 में कहा था, 'एक व्यक्ति के तौर पर, एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि क्या हो रहा है, हम इसे समाचारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूं. मैं इससे इनकार नहीं कर सकता. मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूं. मैं जब घर पर किरण के साथ बात करता हूं,तो वह कहती हैं कि 'क्या हमें भारत से बाहर चले जाना चाहिए?' आमिर खान के इस बयान पर काफी हंगामा हुआ था. इसके बाद आमिर को भारत सरकार के अतुल्य भारत अभियान के विज्ञापन से हटा दिया गया था. साथ ही मशहूर ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील ने भी अपने विज्ञापन से उन्हें हटा दिया था.
हालांकि, कई ऐसे मौके भी रहे जब आमिर खान नरेंद्र मोदी के समर्थन में खड़े नजर आए. आमिर ने पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान को अपना सपोर्ट दिया. इसकी लांचिंग पर आमिर खुद समारोह स्थल पर पहुंचे और मोदी के साथ मंच भी शेयर किया. आमिर खान ने साल 2014 में ही पीएम नरेंद्र मोदी से साउथ ब्लॉक स्थित दफ्तर में मुलाकात की थी. आमिर ने मोदी को टीवी शो 'सत्यमेव जयते' की डीवीडी सेट भेंट की. ऐसे ही आमिर खान ने पीएम मोदी का समर्थन करते हुए उनके 'सिंगल यूज प्लास्टिक' से जुड़े अभियान की तारीफ की है और उसमें भाग लेने की अपील भी की थी.
साल, 2016 में मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर हुए केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया सप्ताह के कार्यक्रम के उद्घाटन मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. इस मौके पर अभिनेता आमिर खान को भी आमंत्रित किया गया था. आमिर वहां पर पहुंचे और डिनर पार्टी में मोदी के करीब उन्हें बैठे देखा गया. यही नहीं आमिर महारष्ट्र में बीजेपी सरकार के रहने के दौरान पानी के एक प्रोजेक्ट में भी एक्टिव हुए थे. जनवरी 2019 में मुंबई में भी नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा के उद्घाटन पर आमिर की पीएम मोदी से मुलाकात हुई थी.
शाहरुख खान, पीएम मोदी, आमिर खान
अक्टूबर, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर अपने 7 लोक कल्याण मार्ग के आवास पर फिल्मी सितारों को दावत दी थी. इस मौके पर आमिर खान भी पहुंचे थे और पीएम मोदी के साथ उन्होंने सेल्फी भी ली थी. इस दौरान आमिर खान ने कहा था, 'बापू के आदर्शों को लोकप्रिय बनाने की सोच रखने पर मैं पीएम मोदी की सराहना करना चाहता हूं. रचनात्मक लोगों के रूप में बहुत कुछ है, जो हम कर सकते हैं.'
पीएम मोदी के साथ सुधरते रिश्ते के बीच आमिर खान अब टर्की की प्रथम महिला से मुलाकात को लेकर फिर विवादों में हैं. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि उनकी अपनी स्वतंत्रता है कि वो क्या करते हैं, लेकिन क्या देश के प्रति एक नागरिक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है. आमिर खान भारतीयों के प्यार से आमिर खान बने हैं. टर्की ने हमेशा भारत के खिलाफ बोला है. हमें यकीन है कि आमिर खान के दिल में भी भारत बसता है तो ऐसे में वो टर्की की प्रथम महिला से मुलाकात कैसे कर सकते हैं.
वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस मुद्दे पर कहा, "आजकल कुछ व्यक्तियों व अभिनेताओं का भारत विरोधियों से प्यार ज्यादा ही बढ़ने लगा है. टर्की की प्रथम महिला से मिल कर एक भारतीय अभिनेता का फूला नहीं समाना बहुत कुछ इंगित करता है. एक जफरुल हैं जो अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहते हुए कट्टरपंथी मुस्लिम देशों की ओर से भारत को धमकाते हैं. तो एक AIMPLB है जो टर्की का ही हवाला देती है. अब ये अभिनेता हैं जिन्हें फिल्म प्रमोशन हेतु भारत विरोधी टर्की की ही प्रथम महिला मिलीं.
वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ अंसारी कहते हैं कि आमिर खान ऐसे अभिनेता हैं, जिनकी लोकप्रियता समाज के सभी तबके में हैं. आमिर किसी भी फिल्म या शो का विषय चुनने से लेकर उसे बनाने में काफी मेहनत करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' तक कहा जाता है. आमिर खान ने कभी भी खुद को एक मुस्लिम के तौर पर पेश नहीं किया है. इसके बावजूद बीजेपी नेता एक सोची समझी रणनीति के तहत आमिर खान को मुस्लिम के तौर ही खड़े करने की कोशिश करते हैं. आजादी के बाद से ही एक ऐसा मिजाज को स्थापित करने की कोशिश की जाती रही जिससे बहुसंख्यक समाज के बीच मुस्लिम समुदाय को कमतर और देश प्रेम पर सवालियां निशान लगाने की कोशिश की जाती रही है.
वह कहते हैं कि आमिर खान ही नहीं बल्कि किसी भी मुस्लिम समुदाय के दूसरे अभिनेता या बुद्धजीवी ने अगर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ जब कभी भी आवाज उठायी है तो उसे बातों से ज्यादा उसकी धार्मिक पहचान को निशाने पर रखा है. इस तरह से बीजेपी नेता मूल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने के साथ-साथ उसके चरित्र हनन की भी कोशिश कर बहुसंख्यक समुदाय के बीच एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करते हैं. इसीलिए आमिर खान हो या फिर नसीरुद्दीन शाह जब-जब सवाल उठाते हैं तो उनकी बातों से ज्यादा धार्मिक पहचान को निशाने पर लिया जाता है.