दिल्ली के पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच लड़ाई और तेज हो गई है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक गोपाल राय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्रियों मदनलाल खुराना, साहब सिंह वर्मा के टीवी इंटरव्यू प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को दिखाए. इसमें दोनों नेता दिल्ली को पूर्ण राज्य देने की मांग करते दिख रहे हैं. इससे यह बात एक बार फिर से स्पष्ट हो गई कि दिल्ली को पूर्ण का राज्य का दर्जा देने की मांग को आधार बनाकर ही आम आदमी पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है.
इन इंटरव्यू में दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों से जब सवाल किया जाता है तो वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की मांग करते नजर आते हैं. इसके अलावा बीजेपी नेता डॉक्टर हर्षवर्धन और विजय गोयल के भी टीवी इंटरव्यू को दिखाया गया. जिसमें दोनों ही नेता बीजेपी के मैनिफेस्टो में पूर्ण राज्य के मुद्दे की बात को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार से इसे पूरा करने की मांग करते नजर आ रहे हैं.
दिल्ली की हर विधानसभा में बीजेपी का मैनिफेस्टो जलाएगी आप
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग तेज करते हुए दिल्ली भर में विरोध प्रदर्शन करने का भी निर्णय लिया है. शुक्रवार को आम आदमी पार्टी दिल्ली की सभी 70 विधानसभा में बीजेपी के घोषणा पत्र को जलाएगी. इस प्रदर्शन में सभी स्थानीय विधायक मौजूद रहेंगे. इस दौरान दिल्ली के सभी लोकसभा कैंडिडेट भी मौजूद रहेंगे. गौरतलब है कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी दफ़्तर में ख़ुद बीजेपी के घोषणा पत्र को जलाया था.
कांग्रेस पर हमला करने से बच रही आम आदमी पार्टी
वहीं पूर्ण राज्य को लेकर कांग्रेस ने भी मैनिफेस्टो में जिक्र किया था पर आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर कांग्रेस से सवाल करने से सीधे तौर पर बच रही है. जब इस मुद्दे पर आजतक ने गोपाल राय से सवाल किया गया तो उन्होंने सीधे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. गोपाल राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी के सीधे निशाने पर बीजेपी है. क्योंकि दिल्ली में सीधी लड़ाई बीजेपी से है.
बता दें कि बुधवार को केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने आम आदमी पार्टी (आप) के घोषणा पत्र को झूठा करार दिया. उन्होंने अरविंद केजरीवाल के वादों की लिस्ट निकाली और इसकी होलिका जलाई. इसमें बताया गया था कि सीसीटीवी, वाईफाई के वादे पूरे नहीं हो पाए. नए अस्पताल और नए कॉलेज नहीं खोले गए. अनिधिकृत कॉलोनियां नियमित नहीं की गईं. झुग्गी झोपड़ी को आवास देने के बारे में पहल नहीं की गई.