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कितने करीब आ पाएंगे दूर जा चुके 'आप' के नेता

AAP कुमार विश्वास ने मंगलवार की सुबह एक ट्वीट किया , जिसमें उन्होंने कहा,"स्याह रात नहीं नाम लेती ढलने का, यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का". सोमवार को योगेंद्र यादव के घर देर रात तक चली बैठक में वे भी मौजूद थे.

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अरविंद केजरीवाल, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण
अरविंद केजरीवाल, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण

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AAP नेता कुमार विश्वास ने मंगलवार की सुबह एक ट्वीट किया , जिसमें उन्होंने कहा,"स्याह रात नहीं नाम लेती ढलने का, यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का". सोमवार को योगेंद्र यादव के घर देर रात तक चली बैठक में वे भी मौजूद थे. ट्वीट में कुमार विश्वास ने कहा, 'तीन घंटे की नींद के बाद भी सुकून है. हम होंगे कामयाब.' मुलाकातों और बैठकों का सिलसिला जारी है.

कौन किससे मिला, किससे नहीं
दिवाली तो सबने साथ मनाई लेकिन योगेंद्र यादव के साथ होली सिर्फ कुमार विश्वास ने खेली . जैसे ही केजरीवाल बंगलुरू से दिल्ली लैंड किए आप की एक टीम योगेंद्र यादव से मिलने उनके घर पहुंची. इसमें आशुतोष, संजय सिंह, कुमार विश्वास और आशीष खेतान शामिल थे. इसके बाद यही टीम प्रशांत भूषण से भी मिलने वाली थी, लेकिन प्रशांत भूषण ने आशीष खेतान से मिलने से इंकार कर दिया. दरअसल खेतान ने भूषण के परिवार को लेकर एक ट्वीट किया था जिससे वो नाराज थे. हालांकि अगले ही दिन उन्होंने माफी भी मांग ली थी.

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अब दिल्ली से बाहर भी जाएंगे
छुट्टी पर जाने से पहले केजरीवाल के एक ट्वीट से पता चला कि वो दिल्ली पर ही फोकस रखना चाहते हैं. अब संजय सिंह का बयान आया है कि पार्टी दिल्ली से बाहर भी पांव फैलाने की कोशिश करेगी. संजय सिंह का कहना है, 'पार्टी का विस्तार होगा. अन्य राज्यों में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए काम करेंगे. किन राज्यों में पार्टी को चुनाव लड़ना चाहिए, इसका फैसला केवल उन राज्यों में राजनीतिक क्षमता और नेतृत्व को देखकर किया जाएगा.' आप में विवाद की एक बड़ी वजह ये थी कि केजरीवाल सिर्फ दिल्ली तक सीमित रहना चाहते थे, जबकि योगेंद्र यादव दिल्ली से बाहर भी राजनीति की बात कर रहे थे. इसे इस तरह देखा गया कि दिल्ली चुनावों के बाद सारे लोग तो सेट हो गए, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पास कोई काम ही नहीं बचा था. सवाल ये उठ रहे थे कि अगर पार्टी दिल्ली तक ही सीमित रही तो बाकी हिस्सों के आप कार्यकर्ता क्या करेंगे? वे पार्टी के अगले फरमान का इंतजार कर पाएंगे या दूसरी पार्टियों की ओर रुख कर लेंगे? तो अब क्या समझा जाए कि पार्टी ने योगेंद्र यादव की बात मान ली है? या फिर ये बताना चाहते हैं कि ये तो पहले से ही पार्टी के एजेंडे में था, बस प्राथमिकताओं में शामिल नहीं था. ताकि यादव-भूषण के पत्र को कोई तवज्जो न मिल पाए.

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आखिर बाकी क्या रहा?
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पर आरोप लगा था कि वे अरविंद केजरीवाल को संयोजक पद से हटाना चाहते हैं. इसके लिए योगेंद्र यादव ने मीडिया में खबरें चलवाईं. प्रशांत भूषण पर आरोप रहा कि वो चाहते थे कि आप दिल्ली चुनाव हार जाए ताकि केजरीवाल का दिमाग ठिकाने आ सके.

बाद में दोनों ने मिलकर एक ज्वाइंट लेटर लिखा जिसमें केजरीवाल पर सबसे बड़ी तोहमत लगा दी कि लोक सभा चुनावों में हार के बाद उन्होंने कांग्रेस के साथ मिल कर फिर से सरकार बनाने की कोशिश की. इसके बाद तो एक के बाद एक स्टिंग सामने आने लगे जिनमें से एक में संकेत ये भी था कि कथित तौर पर केजरीवाल विधायकों की खरीद फरोख्त करना चाहते थे.

इस्तीफे की पेशकश, फिर खंडन
केजरीवाल के दिल्ली लौटते ही प्रशांत भूषण ने मुलाकात के लिए मैसेज भेजा था. इस पर केजरीवाल ने ये तो बताया कि मुलाकात जल्द होगी, लेकिन कब होगी ये नहीं बताया. अब प्रशांत भूषण ने एक नई चिट्ठी लिख कर इस्तीफे की पेशकश कर दी. हमेशा स्वीट और संजीदगी भरी बातें करने वाले योगेंद्र यादव खामोश हैं. केजरीवाल ने अब तक इस बारे में कोई ट्वीट नहीं किया है. बाद में प्रशांत भूषण ने भी इस बात से इंकार कर दिया कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की है.

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ये संयोग ही रहा कि मंगलवार को ही दोपहर में अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव की भेंट हुई. मुलाकात जब अदालत में हुई तो दोनों ने घर के झगड़े का असर चेहरे पर नहीं आने दिया. क्या योगेंद्र यादव के मन में भी बोली जैसी ही मिठास बची है? वैसे दोनों के मन में क्या चल रहा था, ये तो अंदर की बात है.

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