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चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर उंगली उठाने वाले झूठे: मेंदीरत्ता

एस.के मेंदीरत्ता ने कहा कि पिछले 53 सालों में एक भी मौका ऐसा नहीं आया जहां उन्हें लगा हो कि फैसला चुनाव आयोग का नहीं है या फिर कहीं से थोपा गया है.

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आप ने उठाए थे चुनाव आयोग पर सवाल
आप ने उठाए थे चुनाव आयोग पर सवाल

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चुनाव आयोग को पिछले 53 साल तक कानूनी सलाह देते रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस.के मेंदीरत्ता का कहना है कि राजनीतिक कारणों से जो लोग चुनाव आयोग की स्वायत्तता और स्वतंत्र कार्यप्रणाली पर उंगली उठाकर पीएमओ से संचालित बता रहे हैं वो सरासर झूठ बोल रहे हैं.

पिछले 53 सालों में एक भी मौका ऐसा नहीं आया जहां उन्हें लगा हो कि ये फैसला चुनाव आयोग का नहीं है या फिर कहीं से थोपा गया है. आयोग शुरू से ही फैसले अपने विवेक और अधिकार क्षेत्र में रहकर लेता रहा है. आजतक से खास बातचीत में मेंदीरत्ता ने कहा कि वो आयोग को तब से कानूनी सलाह दे रहे हैं जब वो एक सदस्यीय होता था. अब तीन सदस्यीय है, लेकिन स्वायत्तता और गरिमा तब से अब तक बरकरार है.

मेंदीरत्ता ने बताया, 'ये सही है कि आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले मामले में सुनवाई के दौरान या फिर राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने से पहले उनसे कोई संपर्क नहीं किया, उनसे कोई राय नहीं ली.' मेंदीरत्ता ने बताया कि उन्हें इस मामले में की जा रही कार्रवाई की कोई जानकारी तक नहीं थी. अगर उनसे राय ली जाती तो वो जरूर कहते कि विधायकों को उचित मौका देने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन किनसे राय लेनी है ये चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है.

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दरअसल, आम आदमी पार्टी ने मेंदीरत्ता के बयान को आधार बनाकर ये कहा कि आयोग सीधे पीएमओ से आदेश लेता है. इसी वजह से आयोग ने हिमाचल के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा पहले की और गुजरात के लिए बाद में तारीखों का ऐलान किया. इन मसलों पर मेंदीरत्ता ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

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