दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने आम चुनाव के मद्देनजर लोगों को जोड़ने का देशव्यापी अभियान चलाया है. 'आप' का यह सदस्यता अभियान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर है.
हालांकि, जब आरएसएस की स्थापना हुई तब आज की तरह आधुनिक तकनीक नहीं थे. संघ की सदस्यता के लिए कोई औपचारिक अभियान नहीं होता और ना ही इसके दस्तावेज रखे जाते हैं. लेकिन बचपन से लेकर अपनी जिंदगी में कभी भी संघ की शाखा में जाने वाले को उसका सदस्य मान लिया जाता है. या यों कहा जाए कि शाखा में जाने का मतलब ही संघ का सदस्य या कार्यकर्ता होना है.
अब राजनीति की नई पौध आम आदमी पार्टी ने एक मोबाइल नंबर जारी कर दिया, जिस पर मिस्ड काल करने वाला खुद 'आप' का सदस्य हो जाएगा, भले आपका नंबर गलती से ही क्यों न दब गया हो. बीजेपी के नेता भी अब कहने लगे हैं कि जो काम 'आप' के लोग अब कर रहे हैं, संघ परिवार पहले से ही करता आ रहा है, लेकिन दोनों के बीच फर्क सिर्फ इतना है कि 'आप' वाले आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं तो संघ परिवार अपनी पुरानी पद्धति पर काम कर रहा है. सदस्यता अभियान के अलावा 'आप' जिस तरह चंदा वसूलती है, वैसी ही प्रक्रिया संघ की भी है.