आम आदमी पार्टी में सब ठीक होने के दावे लाख हों, लेकिन अंदर-अंदर तूफान ताकत बटोर रहा है. योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थक लामबंद हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की विदाई पर बवाल थमता नहीं दिख रहा है. इस मसले पर 'आप' की राजस्थान यूनिट ने कड़ा विरोध जताया. राजस्थान यूनिट का दावा है कि जिस तरीके से पार्टी की पॉलिटिकिल अफेयर्स कमिटी से दोनों नेताओं को हटाया गया, वो सही नहीं था.
राजस्थान ईकाई ने साफ कहा कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के खिलाफ आरोपों की पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास के जरिए जांच करवाई जानी चाहिए थी. लोकपाल की रिपोर्ट के बाद ही पॉलिटिकिल अफेयर्स कमिटी से निकालने की कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी के दो बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया वो आपत्तिजनक था. इतना ही नहीं राजस्थान इकाई के प्रवक्ता राकेश पारिख ने राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इनके मुताबिक पंकज ने राजस्थान इकाई पर दबाव बनाया.
पारिख ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश के संयोजक अशोक जैन इस मीटिंग में शामिल होने में सक्षम नहीं थे, लिहाजा उन्होंने मुझे पीएसी में उनका पक्ष रखने को कहा. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को मतदान के जरिए हटाने के पक्ष में राजस्थान इकाई नहीं थी पर इसके बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने खुद से बैठक के लिए राज्य से प्रतिनिधि चुनकर दोनों को बाहर निकाले जाने के पक्ष में वोटिंग करवाई.
राजस्थान ईकाई के नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के खिलाफ खुलकर मैदान में उतर आए हैं. उनके मुताबिक पार्टी में कुछ लोगों की चलती है. ये लोग 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी से ऊपर से जुड़ गए हैं. जाहिर है पहले दिन से जुड़े लाखों कार्यकर्ता अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. कार्यकर्ताओं को इसबात का मलाल है कि हाल में शामिल हुए लोग 4 साल से पार्टी के साथ जुड़े लोगों पर हावी कैसे हो गए. साफ है पार्टी के अंदर की खेमेबाजी चरम पर है.
हैरत करने वाली बात ये है कि अमूमन किसी भी पार्टी का अंतरकलह तब सामने आता है जब वो पार्टी खराब दौर से गुजर रही होती है लेकिन यहां तो मामला बिल्कुल अलग है. ऐतिहासिक जीत के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी बगावत की भंवर में फंसती दिख रही है.