आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेन्द्र मोदी में बहुत-थोड़ी समानता है. एक राजनीति में नए हैं तो दूसरे तीन बार गुजरात में चुनाव जीत चुके हैं. उनकी छवि सख्त और विकास का लक्ष्य रखने वाले नेता की है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के खिलाफ दोनों के विचार मिलते हैं, लेकिन इसके अलावा दोनों में कोई समानता नहीं है.
आम आदमी पार्टी के एक अंदरूनी सर्वेक्षण के मुताबिक अरविंद केजरीवाल के ज्यादा समर्थकों में से 31 प्रतिशत चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी देश के अगले प्रधानमंत्र बनें. यह खबर अंग्रेजी आर्थिक अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' ने दी है.
पार्टी के नेता योगेन्द्र यादव ने बताया कि यह पहला मौका था कि पार्टी ने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए लोगों की पसंद जानने की कोशिश की. अरविंद केजरीवाल के समर्थकों में से 10 प्रतिशत मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी या शीला दीक्षित को प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं.
योगेन्द्र यादव का कहना है कि वे खुद उस परिणाम से हैरान हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि केजरीवाल और मोदी दोनों ही बदलाव के प्रतीक हैं. इससे पता चलता है कि लोग आइडियोलॉजी की बजाय व्यक्तित्व को तरज़ीह दे रहे हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर प्रदीप कुमार दत्ता ने कहा, "अभी लोग यह मानते हैं कि इस सरकार की सबसे बड़ी कमज़ोरी अनिर्णय है. केजरीवाल और मोदी को लोग ऐसे नेता मानते हैं जो शिथिलता से सरकार को बाहर निकालेंगे." आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बीच मोदी की लोकप्रियता का कारण शायद यह है कि पार्टी राष्ट्रीय पटल पर अभी दिख नहीं रही है. आरविंद केजरीवाल ने अभी तक 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी के इरादों के बारे में कुछ भी नहीं कहा है.
प्रोफेसर दत्ता का कहना है कि अगर आम आदमी पार्टी इस चुनाव में अच्छा करती है, तो वह लोकसभा चुनाव के बारे में सोचना शुरू करेगी.