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आरुषि मामलाः विदेशी मदद पर असमंजस में सीबीआई

केन्द्रीय जांच ब्यूरो आरुषि तलवार हत्याकांड की बुरी तरह उलझ चुकी गुत्थी सुलझाने के मकसद से इसकी जांच में विदेशी मदद लेने के बारे में अब भी कोई फैसला नहीं कर पा रही है.

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केन्द्रीय जांच ब्यूरो आरुषि तलवार हत्याकांड की बुरी तरह उलझ चुकी गुत्थी सुलझाने के मकसद से इसकी जांच में विदेशी मदद लेने के बारे में अब भी कोई फैसला नहीं कर पा रही है. सीबीआई ने करीब एक महीना पहले ‘कैनेडियन फोरेंसिक लैबोरेटरी’ से संपर्क किया था लेकिन उसके बाद इस जांच एजेंसी ने उनसे कोई बात नहीं की. गौरतलब है कि ‘कैनेडियन फोरेंसिक लैबोरेटरी’ दुनिया के ऐसे महज दो लैबोरेट्रीज में शामिल है जिसके पास ‘टच डीएनए’ जैसी आधुनिक विधियों के इस्तेमाल की विशेषज्ञता है.

आधिकारिक तौर पर इस मामले में सीबीआई ने चुप्पी साध रखी है लेकिन जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एजेंसी ने जून की शुरुआत में लैबोरेटरी से संपर्क किया था. जून की शुरुआत में दोनों पक्ष की हुई बातचीत अब तक हुई उनकी अंतिम बातचीत है और इस बाबत अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है.

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ब्रिटेन और कनाडा में मौजूद लैबोरेटरीज अपराध स्थल से लिए गए नमूनों से निर्णायक फोरेंसिक प्रमाण खोज निकालने में विशेषज्ञता रखती हैं. ‘टच डीएनए’ नाम की एक खास तकनीक के इस्तेमाल से वे ऐसा करती हैं. ‘टच डीएनए’ तकनीक दशकों पुराने मामले सुलझाने में मददगार साबित हुई है.

सूत्रों का कहना है कि विदेशी लैबोरेटरी से संपर्क करने का फैसला उस वक्त लिया गया था जब आरुषि के घर से ली गयी बेडशीट, खून के नमूने, फिंगर प्रिंट, बोतलें और योनि का फाहे में लिए गए नमूने को देश की ही एक फोरेंसिक लैबोरेटरी की ओर से प्रदूषित घोषित कर दिया गया था.

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