आरुषि तलवार हत्याकांड में डॉक्टर तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार को दोषी ठहराया जाना सही है, ऐसा आज तक के अधिसंख्य पाठकों का मानना है.
हमने अपने पाठकों से पूछा था कि डॉ. राजेश और नूपुर तलवार ने ही अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज का कत्ल किया. साढ़े पांच साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला. क्या आपको लगता है कि देर से ही सही न्याय हुआ है?
हमारे पाठकों में से 60.5 प्रतिशत का मानना है कि देर से ही सही न्याय हुआ है जबकि 39.5 प्रतिशत इसे सही नहीं मानते, यानी यह फैसला न्यायपूर्ण नहीं है.
हमारे पाठक एस कुमार ने लिखा है कि तलवार दंपति बेटी और नौकर की मौत के जिम्मेदार हैं लेकिन उनका कोई कसूर नहीं है क्योंकि ऐसे हालात में कोई भी अपनी बेटी को किसी के साथ देख लेता तो ऐसा ही करता...ये तो दुनिया का सच है. एक पाठक खुशदीप राय ने उनसे सहमति जताई है.
सुरेन्द्र कुमार पांडेय ने लिखा है कि तलवार दंपति ने कातिलों को पकड़वाने का कम और खुद को बचाने का ज्यादा प्रयास किया. माहेश्वरी ने भी लिखा है यह गुस्से में की गई कार्रवाई थी. लोकेश ने लिखा है कि आरुषि को उसके मां-बाप ने ही मारा है. एक अन्य पाठक शंभु कुमार गिरि ने इसे सही ठहराया है. गोपी चंद ने लिखा है कि यहां तो न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं, इस मामले में तो महज 5 साल ही लगे हैं. इरफ़ान ने उनका समर्थन किया है. लेकिन रजनीश ने लिखा है कि अभी लंबा सफर है, उन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल ही जाएगी.
लेकिन कुछ ऐसे भी पाठक हैं जो इस फैसले से सहमत नहीं हैं. आकाश शर्मा ने लिखा है कि यह सही नहीं है. राजा सिंह ने लिखा है कि सीबीआई ने अपनी साख बचाने के लिए यह केस बनाया था. अशोक ने लिखा है कि सीबीआई ने इसमें अपनी पीठ खुद ही थपथपाई है. राज ने लिखा है कि उन्हें फंसाया जा रहा है. शेषदेव साहु ने लिखा है कि उन्हें फंसाया जा रहा है.
सत्य प्रकाश सिंह लिखते हैं कि मीडिया इस मामले में अपनी टांग क्यों फंसा रही है. संजीव राना ने लिखा है कि सिर्फ सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट पर ही फैसला दे दिया गया, कोई सबूत तो देना चाहिए था.