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मैथ्‍स से डरने वाले एक इंजीनियरिंग स्‍टूडेंट की कहानी

जब मैं क्‍लास 10 में था तब मैं मैथ्‍स में बहुत कमजोर स्‍टूडेंट था. इस वजह से मुझे बहुत डर लगता था. इस बात को मैं अपने पापा से कहने में डरता था.

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जब मैं क्‍लास 10 में था तब मैं मैथ्‍स में बहुत कमजोर स्‍टूडेंट था. इस वजह से मुझे बहुत डर लगता था. इस बात को मैं अपने पापा से कहने में डरता था. एक दिन बहुत हिम्‍मत जुटाकर ये बात मैंने अपनी मां को कही.

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मैंने उन्‍हें बताया कि मैं सभी सब्‍जेक्‍ट की अपेक्षा मैथ्‍स में बहुत कमजोर हूं . मुझे अपनी बात कहते हुए भी डर लग रहा था कि कहीं मां मुझ पर नाराज न हो जाए. लेकिन उन्‍होंने किसी नाराजगी के बिना मुझसे कहा कि तुम मेरे साथ टीचर के पास चलो. टीचर के पास मां के साथ जाकर अपनी प्रॉब्‍लम को खुलकर बताया. टीचर ने मेरी बहुत मदद की. मैंने टीचर के बताए रास्‍ते पर काम करना शुरू किया.

फिर दिन आया एग्‍जाम का और मेरे मैथ्‍स में बेहतरीन नंबर आए. आज मैं इंजीनियरिंग कोर्स कर रहा हूं. अपने डर पर काबू पाने के लिए मैं अपनी मां और मैथ्‍स टीचर का शुक्रगुजार हूं.

यह कहानी है असम में रहने वाले रोहिम की. उन्‍होंने 10वीं परीक्षा से जुड़ा अपना अनुभव हमारे साथ साझा किया है. 

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आप भी हमारे साथ रिजल्‍ट से जुड़े अपने अनुभव aajtak.education@gmail.com पर भेज सकते हैं, जिन्‍हें हम अपनी वेबसाइट www.aajtak.in/education पर साझा करेंगे.

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