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नए भगोड़ा कानून के तहत मुंबई की अदालत में माल्या की पहली पेशी कल

नए 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून' के तहत विजय माल्या के खिलाफ पहली कार्रवाई की गई है. उसको सोमवार को अदालत में पेश होने को कहा गया है. फिलहाल माल्या लंदन में भारत द्वारा प्रत्यर्पण (extradition) के लिए दायर किया गया मुकदमा लड़ रहा है.

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विजय माल्या
विजय माल्या

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नए 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून' के तहत विजय माल्या की शनिवार को मुंबई की एक विशेष अदालत में पेशी सूचीबद्ध (Listed) की गई है. इस नए कानून के तहत किसी भगोड़े आरोपी के खिलाफ शुरू की गई यह पहली कार्रवाई है.

मामले में सूत्रों का कहना है कि यह तो पक्का है कि सोमवार को माल्या अदालत में पेश नहीं होगा, क्योंकि वह लंदन में भारत द्वारा प्रत्यर्पण (extradition) के लिए दायर किया गया मुकदमा लड़ रहा है. हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि माल्या की ओर से कोई कानूनी प्रतिनिधि इस नोटिस पर स्पेशल PMLA न्यायाधीश एमएस आजमी की अदालत में जवाब पेश करेगा.

इसी अदालत ने 30 जून को माल्या को यह नोटिस जारी किया था कि वह 27 अगस्त को पेश हो, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब कारोबारी माल्या को नए कानून के तहत आरोपी बनाया था. साथ ही नौ हजार करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में उसके और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच का विस्तार किया था.

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इस CBI ने अपनी नवीनतम कार्रवाई के तहत माल्या की 12 हजार पांच सौ करोड़ रुपये की संपत्ति तत्काल जब्त करने की भी मांग की थी. सूत्रों के मुताबिक भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के तहत कानूनी कार्रवाई के रूप में अगला कदम पूरी तरह अदालत के फैसले पर निर्भर करता है.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक इससे पहले सूत्रों ने संकेत दिया था कि अगर माल्या अदालत में पेश नहीं होता है, तो उसकी संपत्ति जब्त किए जाने के आदेश जारी होने के अलावा उस पर भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने का भी खतरा मंडरा रहा है. इसी अदालत ने ईडी के दो अन्य मामलों में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.

अधिकारियों ने नए कानून के तहत अर्जी लगाते हुए अदालत को बताया था कि माल्या और उसके किंगफिशर एयरलाइंस और अन्य ने विभिन्न बैंकों से कर्ज लिया था और फिलहाल उसके खिलाफ ब्याज समेत 9,990 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बकाया है.

ईडी और सीबीआई ने उसके खिलाफ कथित कर्ज अदायगी उल्लंघन मामले दर्ज किए हैं. नए कानून के तहत मामला लंबित रहने के दौरान आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जा सकती है. उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सकता है और उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं.

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