इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) में हिस्सा लेकर भारत ने इतिहास रच दिया है. पड़ोसी मुल्क के साथ तनाव के बीच 'सम्मानित अतिथि' की हैसियत से यहां आमंत्रित किया जाना भारत की कूटनीतिक जीत है. सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे फलस्तीन के विदेश मंत्री डॉ. रियाद मलिक ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सुधारे जाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को मिल बैठकर बातचीत के जरिए मसलों को सुलझाना चाहिए.
इंडिया टुडे के साथ बातचीत में मलिक ने कहा कि हम हमेशा कहते रहे हैं कि भारत में मुस्लिमों की बड़ी आबादी रहती है. इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि भारत ओआईसी का सदस्य नहीं है तो कम से कम उससे रिश्ता बनाए रखना चाहिए. भारत को सभी स्तरों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए. कई क्षेत्रों में भारत से हमारे संबंध बेहतर हैं.
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर निशाना साधा. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के मंच ने उन्होंने कहा कि जो देश आतंकवादियों को फंड मुहैया कराता है और उन्हें पनाह देता है, उसे निश्चित ही उसकी धरती से आतंकी शिविरों को समाप्त करने के लिए कहा जाना चाहिए.
सुषमा स्वराज ने कहा, अगर हम मानवता को बचाना चाहते हैं तो हमें निश्चित ही आतंकवादियों का वित्त पोषण करने वाले और उन्हें पनाह देने वाले देशों से उनकी धरती पर आतंकी शिविरों को समाप्त करने और पनाहगाहों को समाप्त करने के लिए कहना चाहिए.
सुषमा इस सम्मेलन में 'सम्मानित अतिथि' की हैसियत से भाग ले रही हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सुषमा की उपस्थिति की वजह से इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया है. कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद(जेईएम) के प्रशिक्षण शिविरों पर भारत द्वारा किए गए हवाई हमले के तीन दिन बाद सुषमा स्वराज ने यहां पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधा. पाकिस्तान स्थित जेईएम ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी.
सुषमा ने कहा कि आतंक के खतरे को सिर्फ 'सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक' तरीकों से हराया नहीं जा सकता, बल्कि इसे 'हमारे मूल्यों की मजबूती और धर्म के संदेश' से जीता जा सकता है.
उन्होंने कहा, "यह सभ्यता और संस्कृति का टकराव नहीं है, बल्कि विचारों और आदर्शों के बीच प्रतिस्पर्धा है." विदेश मंत्री ने कहा, "आतंकवाद और अतिवाद के विभिन्न नाम और स्वरूप होते हैं. यह विविध कारणों का उपयोग करता है. लेकिन प्रत्येक मामले में, यह धर्म के विरूपण और इसकी सत्ता के पथभ्रष्ट विश्वास से आगे बढ़ता है." मंत्री ने इसके साथ ही अपने संबोधन में भारत की प्राचीन सभ्यता के मूल्यों, इसके बहुलतावादी स्वभाव और शांति के संदेश का जिक्र किया.