पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने दावा किया कि लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी अबू जिंदाल भारतीय खुफिया एजेंसियों का एक एजेंट था. इस आरोप का भारत के गृह मंत्रालय ने खंडन किया है.
अबू जिंदाल को सउदी अरब से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया था. मलिक ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम भी हैरानी में हैं. अबू जिंदाल जाना-माना अपराधी था. वह भारतीय खुफिया एजेंसी (वो किसी इंटेलीजेंस एजेंसी, इंडियन्स का, एक सोर्स भी रहा) का एजेंट था. वह खुद बोल रहा है. हम नहीं बोल रहे हैं. हमने रिकॉर्ड देखे हैं.’
अबू जिंदाल मुंबई आतंकवादी हमले मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक है और मुंबई में 2008 में तीन दिन तक चले खूनी खेल के दौरान पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन द्वारा स्थापित कंट्रोल रूप में कथित तौर पर मौजूद था.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अबू जिंदाल एक साल तक सउदी अधिकारियों की हिरासत में रहा. उस दौरान पाकिस्तान ने कूटनीतिक दबाव बढ़ाया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि वह 26 नवंबर के हमले में शामिल सरकारी तत्वों के बारे में जानकारी दे सकता है.
मलिक ने कहा कि अबू जिंदाल के अलावा दो अन्य भारतीय पाकिस्तान गए थे. उन्होंने कहा, ‘हम हैरान हैं कि वे पाकिस्तान क्यों गए. यह रिकार्ड का मामला है.’
पाकिस्तानी नेता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस आधार पर यह बयान दे रहे हैं. अबू जिंदाल का फर्जी पाकिस्तानी पासपोर्ट और पाकिस्तानी नागरिक होने का जाली पहचान पत्र भी उसके कब्जे से बरामद किया गया था.
मलिक ने कहा कि पाकिस्तान इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या दोनों पक्षों के सरकार से इतर तत्व किसी तीसरी शक्ति के इशारे पर काम कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘आप इस बात से वाकिफ हैं कि हालात ने खतरनाक मोड़ ले लिया था. दोनों देशों ने सीमा पर अपने-अपने सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी थी. अगर दोनों पक्षों के नेताओं ने परिपक्वता न दिखाई होती, तो हालात बिगड़ सकते थे.’
मलिक ने कहा, ‘हमें यह भूलना होगा कि भारत और पाकिस्तान शत्रु हैं. हम कश्मीर मुद्दे पर मिल रहे हैं. यह समग्र बातचीत का हिस्सा है. हम 26 नवंबर को नहीं भूल रहे हैं. मैं नहीं कह रहा हूं कि घटना को भूल जाइए. मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि शत्रुता की भावना को भूल जाएं. आइए प्रसन्नता के युग का सृजन करें.’