सुप्रीम कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने पुर्तगाल की अदालत द्वारा प्रत्यर्पण को रद्द किए जाने के बाद अपने खिलाफ चल रही सभी कानूनी प्रक्रियाओं को खत्म करने की मांग की थी.
चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अबू सलेम की अर्जी रद्द करते हुए कहा कि पुर्तगाल की संवैधानिक अदालत का फैसला हमारे ऊपर बाध्यकारी नहीं है. कानून की नजर में सलेम का प्रत्यर्पण अब भी वैध है.
इसके अलावा कोर्ट ने सलेम पर टाडा और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत लगाए गए अतिरिक्त आरोपों को हटाने के लिए सीबीआई को इजाजत दे दी है.
गौरतलब है कि अबू सलेम ने पुर्तगाल की अदालत के निर्णय के आधार पर अपने खिलाफ चल रहे विभिन्न मुकदमों की कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया था. पुर्तगाल की अदालत ने अबू सलेम के भारत में प्रत्यर्पण की शर्तों का ‘उल्लंघन’ करने के आधार पर उसका प्रत्यर्पण निरस्त कर दिया था.
दरअसल, सलेम के प्रत्यर्पण के समय भारत ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि उसके खिलाफ ऐसा कोई भी आरोप नहीं लगाया जायेगा जिसमें मृत्युदंड या 25 साल से अधिक की कैद का प्रावधान हो लेकिन बाद में ऐसे आरोप तैयार कर लगाये गये थे. सलेम इस समय मुंबई की आर्थर जेल में बंद हैं.
पुर्तगाल की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसने टाडा अदालत में याचिका दायर करके इस मुकदमे को बंद करने का अनुरोध किया था.
इसके बाद उसने लिस्बन स्थित सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. लिस्बन की अदालत ने पिछले साल 19 सितंबर को अपने फैसले में कहा था कि भारत द्वारा दिये गये आश्वसन का उल्लंघन हुआ है.
सलेम और उसकी महिला मित्र सिने अभिनेत्री मोनिका बेदी को तीन साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पुर्तगाल द्वारा 11 नवंबर, 2005 को भारत को सौंपा गया था.