मुंबई हमलों में पकड़े गए एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल आमिर कसाब के पक्ष में एक वकील उसका केस लड़ना चाहता है. उसकी शर्त ये है कि कसाब महात्मा गांधी के सिद्धांतों को मान ले. वकील ने बाकायदा इसके लिए कसाब को चिट्ठी भी लिखा है.
चिट्ठी का मजमून कुछ इस प्रकार है, जनाब कसाब, अस सलाम वलैकुम. इस चिट्ठी के माध्यम से मैं एक ऐसे वकील के रुप में खुद की पहचान दे रहा हूं, जो तुम्हारे बचाव में केस लड़ना चाहता है. केबीएन लाम, मुंबई हाईकोर्ट के इस वकील ने कसाब के बचाव में केस लड़ने के लिए क्राइम ब्रांच के माध्यम से कसाब को एक चिट्ठी भेजी है. इस बारे में जानकारी के लिए जब हम लाम साहब से मिलने पहुंचे तो पुलिस ने सुरक्षा कारणों की आड़ में उनसे मिलने नहीं दिया.
लाम ने अपनी चिट्ठी में कसाब को अपना वकील चुनने की गुज़ारिश करते हुए, उसे कुछ सलाह भी दी है. लाम ने कसाब से गांधीजी के रास्ते पर चलने को कहा है. ताकि इस खून-खराबे और हिंसा की दुनिया से वो दूर रह सके.
मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि आपको बेहतर खाने और पूरी नींद की इजाजत मिले. ये जरूरी है कि आप महात्मा गांधी के सिद्धान्तों पर चलें. ये सही है कि आपको शाकाहारी खाना मिलना चाहिए न कि हलाल मीट या मछली. साथ ही योग और आध्यात्म भी सिखाया जाना चाहिए. अहिंसा के सिद्धांत के साथ जुड़ने पर आपको भी यकीन होगा कि जो धर्म के नाम पर हिंसा फैलाते हैं उनका कोई मजहब नहीं होता है.
इसके साथ ही वकील केबीएन लाम ने मोहम्मद अली जिन्नाह की पत्नी का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी तरह वो भी ना तो हिन्दू हैं और न ही मुस्लिम वो एक पारसी हैं. ऐसे में कसाब को उन्हें अपना वकील चुनने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
एक सेकुलर देश में सांप्रदायिक विचारों की कोई जगह नहीं है लेकिन मेरे साथ ये सहूलियत है कि मैं न तो हिंदू हूं और न ही मुसलमान. कायदे आजम जिन्ना की पत्नी की तरह मैं एक पारसी हूं.
कसाब को लिखी वकील केबीएन लाम की चिट्ठी पर क्राइम ब्रांच या पुलिस ने कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया. ऐसे में ये अन्दाज़ा लगाना काफी मुश्किल है कि चिट्ठी कसाब तक पहुंची या नहीं. उसने चिट्ठी पढ़ी या नहीं. अगर पढ़ी, तो क्या फैसला किया कसाब ने.